जयशंकर प्रसाद का जीवन परिचय | Biography Of Jaishankar Prasad

Biography Of Jaishankar Prasad

जयशंकर प्रसाद

Biography Of Jaishankar Prasad जयशंकर प्रसाद महादेवी बिघा-पश्चिम चंपारण जिले, बिहार में जन्मे थे। उन्होंने अपनी काव्य रचनाओं और साहित्यिक योगदान के लिए विशेष मान्यता प्राप्त की। उनकी रचनाओं में आम जनता की मुद्दों को उठाने की व्यापक प्रवृत्ति और राष्ट्रीय भावना को जीवित करने की खोज दिखाई देती है। यह ब्लॉग पोस्ट जयशंकर प्रसाद के जीवन पर एक संक्षेप में चर्चा करेगी।

Biography Of Jaishankar Prasad

जयशंकर प्रसाद 30 जनवरी, 1889 में बिघा-चंपारण जिले के एक छोटे से गांव में जन्मे। उनके पिता का नाम आचार्य धर्मेश्वर प्रसाद था, जो एक स्कूल अध्यापक थे। उनकी माता अनंतदेवी भोगवाल भी एक गृहिणी थीं। 12 वर्ष की आयु में वे वीरकुन्बर वॉड जा पहुंचे और वहां अपनी शिक्षा जारी रखी। उनका परिवार उत्साही और पढ़ा-लिखा होने के कारण, उन्होंने आगे अपने अध्ययनों का आगे भी ख़ूबानी बढ़ाई और संघर्षशीलता से अपना मंज़िल प्राप्त की।

जयशंकर प्रसाद जी का विवाह

प्रसाद जी का पहला विवाह 1909 ई॰ में विंध्यवासिनी देवी के साथ हुआ था। उनकी पत्नी को क्षय रोग था। सन् 1916 ई॰ में विंध्यवासिनी देवी का निधन हो गया। उसी समय से उनके घर में क्षय रोग के कीटाणु प्रवेश कर गये थे। सन् 1917 ई॰ में सरस्वती देवी के साथ उनका दूसरा विवाह हुआ। दूसरा विवाह होने पर उनकी पहली पत्नी की साड़ियों आदि को उनकी द्वितीय पत्नी ने भी पहना और कुछ समय बाद उन्हें भी क्षय रोग हो गया और दो ही वर्ष बाद 1919 ई॰ में उनका देहांत भी प्रसूतावस्था में क्षय रोग से ही हुआ। इसके बाद पुनः घर बसाने की उनकी लालसा नहीं थी, परंतु अनेक लोगों के समझाने और सबसे अधिक अपनी भाभी के प्रतिदिन के शोकमय जीवन को सुलझाने के लिए उन्हें बाध्य होकर विवाह करना पड़ा था।

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सन् 1919 ई॰ में उनका तीसरा विवाह कमला देवी के साथ हुआ। उनका एकमात्र पुत्र रत्नशंकर प्रसाद तीसरी पत्नी की ही संतान थे, जिनका जन्म सन् १९२२ ई॰ में हुआ था। स्वयं प्रसाद जी भी जीवन के अंत में क्षय रोग से ग्रस्त हो गये थे और एलोपैथिक के अतिरिक्त लंबे समय तक होमियोपैथिक तथा कुछ समय आयुर्वेदिक चिकित्सा का सहारा लेने के बावजूद इस रोग से मुक्त न हो सके और अंततः इसी रोग से 15 नवम्बर 1937(दिन-सोमवार) को प्रातःकाल (उम्र 47) उनका देहान्त काशी में हुआ। Biography Of Jaishankar Prasad

साहित्यिक योगदान

जयशंकर प्रसाद एक मशहूर हिंदी कवि और लेखक थे। उन्होंने कई उपन्यास, काव्य संग्रह और नाटक लिखे। उनकी रचनाएं आधारभूत स्वतंत्रता संग्राम और आंतर्राष्ट्रीय लोकप्रियता को प्राप्त कर चुकी हैं। वह भारतीय साहित्य के ऊँचे अखंड स्तम्भ माने जाते हैं।

१. उपन्यास

जयशंकर प्रसाद के उपन्यास “कामायनी” को उनकी मुख्य रचना माना जाता है। इसमें रंगभूमि में महाभारत के मानवीय युद्ध को छोटे मोटे किस्सों के रूप में वर्णित किया गया है। इस उपन्यास में प्रेम, धर्म, और मानवीयता के मुद्दे गहरी रूप से दिखाए गए हैं।

२. काव्य संग्रह

जयशंकर प्रसाद के काव्य संग्रह में उनकी रचनाओं का संग्रह है, जो उनकी भाषा का संगीतमय और रागी हिस्सा माने जाते हैं। “आर्ज़ी की किताबें”, “आसमान और गर्त” हैं, जो उनकी मशहूरी को प्रतिष्ठित करते हैं।Biography Of Jaishankar Prasad

३. नाटक

जयशंकर प्रसाद पुरस्कार के विजेता “स्कन्धगुप्त” उनका प्रसिद्ध नाटक है। इसमें वे स्वतंत्रता संग्राम के समय के महानायक स्कन्धगुप्त को वृतान्तरूप में प्रस्तुत करते हैं। इस नाटक में उन्होंने आधिपत्य, गरीबी, और स्वतंत्रता को स्पष्टता से दर्शाया है।Biography Of Jaishankar Prasad

निष्कर्ष

जयशंकर प्रसाद के जीवन परिचय से हमें यह पता चलता है कि वे न केवल एक महान कवि बल्कि एक विचारशीलता और आध्यात्मिकता के अभियांता भी थे। उन्होंने अपने काव्य के माध्यम से समाज को संवेदनशील बनाने का प्रयास किया और उनकी रचनाएं आज भी हमें सोचने और समझने के लिए प्रेरित करती हैं।Biography Of Jaishankar Prasad

“समयिकों के साथ चलकर, मैंने देखा है, जीवन इसमें है” – जयशंकर प्रसाद

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