जवाहरलाल नेहरू | Jawaharlal Nehru अनेक भारतीयों, जिनमें वृद्ध और नौजवान भी सम्मिलित थे तथा पंडित जवाहरलाल नेहरू ने विदेशी शासन के विरुद्ध अत्यंत साहस, बुद्धिमत्ता, गौरवशाली एवं मानवीय ढंग से स्वतन्त्रता की लड़ाई लड़ी तथा भारत को स्वतन्त्र कराकर विश्व पटल पर एक स्वस्थ लोकतान्त्रिक देश के रूप में स्थापित किया, जिसके फलस्वरूप भारत प्रगति एवं समृद्धि के मार्ग पर अग्रसर हुआ। भारतीय स्वतन्त्रता के महान, अग्रणी देवदूत एवं स्वाधीनता प्राप्ति के कंटकपूर्ण मार्ग पर चलने वाले इस अदम्य नेता का जन्म 14 नवम्बर, 1889 को हुआ था।
नेहरू के पूर्वज कश्मीर से आये थे। उनका मौलिक पारिवारिक नाम नेहरू नहीं बल्कि कौल था। नेहरू के पिता मोतीलाल नेहरू एक अत्यंत सफल वकील थे, जिनकी धन अर्जित करने की योग्यता उनकी खर्च करने की योग्यता की अपेक्षा अधिक थी।
पं॰ जवाहरलाल नेहरू का जीवन परिचय
जब जवाहरलाल 3 वर्ष के थे, तब उनके पिता इलाहाबाद के आनन्द भवन में आ गये, जो कि एक अत्यंत शानदार घर था जिसमें एक स्विमिंग पूल, बिजली तथा पानी की पर्याप्त व्यवस्था थी। इस प्रकार की सुविधाओं से युक्त भवन इलाहाबाद में पहली बार बना था। आनन्द भवन विदेशी तथा भारतीय जीवन पद्धति के बीच उत्कृष्ट सामंजस्य का उदाहरण प्रस्तुत करता था।
मोतीलाल नेहरू ने अपनी पत्नी स्वरूप रानी एवं बच्चों के साथ आनन्दमय जीवन व्यतीत किया। जैसा कि इस जीवन के बारे में सच्चाई को स्वीकार करते हुए जवाहरलाल ने अपनी आत्मकथा में वर्णित किया है, “एक समृद्धिशाली मां-बाप की इकलौती सन्तान के बर्बाद होने की सम्भावना ज्यादा रहती है , और वह भी विशेष रूप से भारत में हो तो बर्बाद होने से बचने की संभावना अत्यंत कम ही रहती है।” उनका बचपन एकाकी रहा। Jawaharlal Nehru
Jawaharlal Nehru की शिक्षा
16 वर्ष की आयु में वे हैरो विश्वविद्यालय लन्दन में पढ़ने गए। उससे पूर्व नेहरू कभी स्कूल नहीं गए। उनकी शिक्षा-दीक्षा क्रमबद्ध ढंग से अंग्रेजी आयाओं तथा निजी शिक्षकों द्वारा घर पर ही हुई और इन सबमें केवल फर्डीनाण्ड टी. ब्रुक्स ही युवा नेहरू को प्रभावित कर सके व अपनी छाप छोड़ पाये ब्रुक्स ने जवाहरलाल के मन-मस्तिष्क में दो रुचियों का विशेष रूप से विकास किया, एक, पढ़ने में रुचि लेना, तथा; दूसरा, विज्ञान और उसके रहस्यों के प्रति एक जिज्ञासु प्रवृत्ति अपनाना।Jawaharlal Nehru
मई 1905 में जवाहरलाल ने अपने माता-पिता के साथ में इंग्लैण्ड की यात्रा की। उन्होंने 1905 के क्रिसमस सत्र में हैरो विश्वविद्यालय में प्रवेश लिया और 1907 के ग्रीष्म सत्र में उसे छोड़ दिया। हैरो में उन्होंने वे सभी कार्य किए जो अनुरूप एक पब्लिक स्कूल के लड़कों के लिए अनिवार्य थे। यद्यपि वहां के वातावरण के अनुकूल न होने पर भी उन्होंने स्वयं को नई परिस्थितियों के ढाला। वे यहां स्वयं अपनी इच्छा से आए थे किंतु यहां के बौद्धिक संयम एवं कारावास स्वरूप जीवन से उन्हें कष्ट पहुंचा।
अक्टूबर 1907 में वे विश्व के सबसे बड़े विश्वविद्यालय कैम्ब्रिज के ट्रिनिटी महाविद्यालय में अध्ययन हेतु गए। विज्ञान विषय में रुचि के कारण उन्होंने कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय की अंतिम उपाधि परीक्षा के लिए प्राकृतिक विज्ञान को चुना, जबकि उनके विषय रसायनशास्त्र, भू-गर्भशास्त्र तथा वनस्पति विज्ञान थे। Jawaharlal Nehru
किंतु उनकी रुचि का क्षेत्र अत्यंत व्यापक था और स्वाभाविक रूप से जिज्ञासु प्रवृत्ति होने के कारण उनका मस्तिष्क नवीन अनुभवों की प्राप्ति के लिए सदैव प्रयत्नशील रहता था। राजनीति शास्त्र व अर्थशास्त्र उन्हें आकर्षित करते रहे तथा इतिहास व साहित्य के प्रति उनका झुकाव दिनों-दिन बढ़ता गया। जो भी हो पर जवाहरलाल विश्वविद्यालयी जीवन में छात्रों के बीच अपना कोई विशेष प्रभाव नहीं छोड़ पाये। Jawaharlal Nehru
ब्रिटेन में 7 साल तक रहने के बाद भी जवाहरलाल का परीक्षा परिणाम बहुत ही असंतोषजनक रहा पर पुस्तक प्रेमी होने के कारण उन्होंने एक अच्छा-सा पुस्तकालय बना लिया था। एम.जे. अकबर के अनुसार, “जवाहरलाल निश्चित रूप से ब्रिटेन के प्रेमी हो गये।” इसका प्रमाण यह है कि अपनी वापसी के 10 साल बाद भी मई 1922 में अपने ट्रायल के संबंध में चर्चा करते हुए ब्रिटिश जज से कहा, “मैं इंग्लैण्ड व अंग्रेजों के प्रति उतने ही लगाव के साथ भारत वापस आया हूं जितना कि एक भारतीय के लिए होना सम्भव था।
जवाहरलाल नेहरू | Jawaharlal Nehru देशभक्ति व स्वाधीनता के प्रति ब्रिटिश सरकार की प्रतिबद्धता के वे प्रशंसक थे। भारत में एक भारतीय के रूप में पूर्ण स्वतन्त्रता चाहते थे। धीरे-धीरे ब्रिटिश नियमों के प्रति उनकी घृणा इतनी बढ़ती गई जितनी कि वे किसी से घृणा नहीं करते थे। वे खोज और उत्साह की मनोभावना के साथ इंग्लैण्ड गये थे लेकिन भारत की खोज के लिए अपनी मातृभूमि को लौट आए। यह कम महत्वपूर्ण नहीं है कि कुछ ही वर्षों के बाद उनकी जो पुस्तक प्रकाशित हुई वह भारत की खोज (Discovery of India) ही थी।Jawaharlal Nehru
नेहरू सर्वप्रथम गोपाल कृष्ण गोखले की “सर्वेन्ट्स ऑफ इन्डिया सोसायटी” की तरफ आकर्षित हुए। सेवा व त्याग की भावना से ‘सोसायटी’ से प्रभावित होते हुए भी उन्होंने न तो तब न बाद में उसमें सम्मिलित होने की बात सोची । फ्रैंक मोरास के अनुसार, “उस समय नेहरू की नजर में गांधी का नाम बहुत गइराई तक घर कर गया। दक्षिण अफ्रीका सरकार के खिलाफ गांधी द्वारा संचालित नटाल सत्याग्रह से नेहरू बहुत प्रभावित हुए, जो कि श्रमिकों पर लगने वाले वार्षिक कर को समाप्त करने या रद्द करने के लिए चलाया था।
नेहरू का विवाह 8 फरवरी, 1910 को दिल्ली में कमला के साथ हुआ। 26 वर्षीय जवाहर तथा 17 वर्षीया कमला का विवाह उस समय की सबसे महत्वपूर्ण घटना थी। 19 नवम्बर, 1917 को इस दम्पत्ति के घर एक पुत्री का जन्म हुआ, जिसका नाम इन्दिरा प्रियदर्शनी रखा गया ।Jawaharlal Nehru biography
आधुनिक भारत के राजनैतिक इतिहास में 1916 के वर्ष का अपना एक अलग ही महत्वपूर्ण स्थान है। उस वर्ष कांग्रेस के लखनऊ अधिवेशन में कांग्रेस तथा मुस्लिम लीग ने एक साथ मिलकर काम करने का निर्णय किया। इसी वर्ष नेहरू की पहली बार गांधी जी से मुलाकात हुई। इस अधिवेशन में न तो नेहरू किसी किसी निर्णय पर पहुंच पाए और न ही गांधी जी। उसी वर्ष नेहरू को तिलक और एनी बेसेन्ट द्वारा संचालित प्रॉविन्शियल होम रूल लीग का संयुक्त सचिव बना दिया गया। बहुत समय बाद नेहरू ने श्रीमती बेसेन्ट के संबंध में अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि, “उनके व्यक्तित्व ने मेरे बचपन को काफी प्रभावित किया और राजनीति में हिस्सा लेने के बाद भी उनका प्रभाव बरकार रहा ।”Jawaharlal Nehru biography
Baba Saheb Dr Bhim Rao Ambedkar
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