प्रारंभिक जीवन:
Tulsidas ka Jiwan Parichay तुलसीदास का जन्म वाराणसी में हुआ था। उनके पिता का नाम आत्माराम था और माता का नाम हुलसी देवी था। उनका जन्म सवंत 1589 में हुआ था। वे कन्याकुब्जा या संध्याय ब्राह्मण परिवार से थे । उनके जीवन के बारे में बहुत से मतभेद हैं । Tulsidas ka Jiwan Parichay
“पन्द्रह सौ चौवन विसे कालिन्दी के तीर/
श्रावण शुक्ला सप्तमी, तुलसी धरयो शरीर।।”
Tulsidas ka Jiwan Parichay
तुलसीदास का जीवन परिचय
पूरा नाम (Name) | गोस्वामी तुलसीदास |
जन्म (Birthday) | सवंत 1589 |
जन्मस्थान (Birthplace) | राजापुर, बाँदा, उत्तर प्रदेश |
माता (Mother Name) | हुलसी दुबे |
पिता (Father Name) | आत्माराम दुबे |
शिक्षा (Education) | बचपन से ही वेद, पुराण एवं उपनिषदों की शिक्षा मिली थी। |
विवाह (Wife Name) | रत्नावली के साथ। |
बच्चे (Son Name) | तारक |
धर्म | हिन्दू धर्म |
प्रसिद्ध | कवि और संत |
गुरु / शिक्षक (Guru) | नरहरिदास |
खिताब/सम्मान (Achievements) | गोस्वामी, अभिनववाल्मीकि, इत्यादि |
मृत्यु का स्थान | वाराणसी, उत्तर प्रदेश |
प्रमुख रचनाएँ | रामचरितमानस, विनयपत्रिका, दोहावली, कवितावली, हनुमान चालीसा, वैराग्य सन्दीपनी, जानकी मंगल, पार्वती मंगल, इत्यादि |
तुलसीदास की रचनाएँ
रामललानहछू, वैराग्य-संदीपनी, बरवै रामायण, कलिधर्माधर्म निरुपण, कवित्त रामायण, छप्पय रामायण, कुंडलिया रामायण, छंदावली रामायण, सतसई, जानकी-मंगल, पार्वती-मंगल, श्रीकृष्ण-गीतावली, झूलना, रोला रामायण, राम शलाका, कवितावली, दोहावली, रामाज्ञाप्रश्न, गीतावली, विनयपत्रिका, संकट मोचन आदि । Tulsidas ka Jiwan Parichay
साहित्यिक कार्य:
तुलसीदास एक महान कवि और समाज सुधारक थे। उनकी कविताएं और रचनाएं आज भी हमें उत्साहित करती हैं।
रामचरितमानस के लेखक:
तुलसीदास ने ‘रामचरितमानस’ की रचना की थी, जो उनका प्रसिद्धतम कृति मानी जाती है।
तुलसीदास की धार्मिक दृष्टि:
उन्होंने भगवान राम के भक्ति-भाव को बहुत महत्व दिया था।
ज्ञान स्फूर्ति और शिक्षा:
तुलसीदास का ज्ञान और शिक्षा के प्रति बहुत गहरा सम्बन्ध था।
प्रेम से भावुक लेखन:
उनकी रचनाएं प्रेम और भावनाओं से भरी होती थीं। वे एक भावुक लेखक थे । Tulsidas ka Jiwan Parichay
समाज सेवा की भावना:
तुलसीदास में समाजसेवा की भावना कूटकूट कर भरी थी, उन्होंने समाज सेवा की महत्वपूर्णता को समझा और उसमें अपना योगदान दिया।
संस्कृति और उन्होंने किये योगदान:
उन्होंने भाषा, संस्कृति और समाज को लेकर कई महत्वपूर्ण योगदान दिए हैं।
वे एक संत भी थे:
तुलसीदास ने अपने काव्यों के माध्यम से समाज को धर्मिक और नैतिक मार्गदर्शन दिया।
तुलसीदास के उपदेश:
उनके उपदेश आज भी हमें सही राह दिखाते हैं।
अस्थि चर्म मय देह यह, ता सों ऐसी प्रीति।।
नेकु जो होती राम से, तो काहे भव-भीत ?
Tulsidas ka Jiwan Parichay
उपन्यासकार और कवि:
तुलसीदास एक उत्कृष्ट उपन्यासकार और कवि थे।
कल्याण मिलेगा जब तक:
उनकी रचनाएं हमें यह याद दिलाती हैं कि कल्याण मिलेगा जब तक हम भगवान में विश्वास और प्रेम रखें।
तुलसीदास के समृद्ध जीवन के संदर्भ में:
तुलसीदास का जीवन एक प्रेरणादायक उदाहरण है, जिससे हमें क्या सिखने को मिलता है। Tulsidas ka Jiwan Parichay
तुलसीदास सिद्धांत के अनुसार:
उनके सिद्धांत और विचार हमें सच्चे धर्म और प्रेम के महत्व को समझाते हैं। Tulsidas ka Jiwan Parichay
समापन
इस लेख में हमने तुलसीदास के जीवन के बारे में जानकारी प्रदान की है। उनका जीवन एक शिक्षाप्रद और प्रेरणादायक है। उनके काव्य और सिद्धांत हमें अपने जीवन में उसी दिशा में अग्रसर रहने की प्रेरणा देते हैं। गरिमा जैन का जीवन परिचय | Biography of Garima Jain, Tulsidas ka Jiwan Parichay
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तुलसीदास की कविताओं में क्या विशेषता थी?
लसीदास जी हिंदी साहित्य के सबसे महान कवियों में से एक हैं। उनकी रचनाओं में अनेक विशेषताएं हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख विशेषताएं निम्नलिखित हैं:
1. भावपूर्ण भाषा: तुलसीदास जी की भाषा अत्यंत भावपूर्ण और प्रभावशाली है। वे सहज, सरल और आम लोगों की भाषा का प्रयोग करते थे, जिसके कारण उनकी रचनाएं आज भी जन-जन में लोकप्रिय हैं।
2. विविध रसों का समावेश: तुलसीदास जी की रचनाओं में सभी रसों का समावेश मिलता है। श्रृंगार, वीर, करुण, हास्य, भयानक, अद्भुत – सभी रसों का उन्होंने बखूबी चित्रण किया है।
3. नीति और दर्शन: तुलसीदास जी की रचनाओं में नीति और दर्शन का भी समावेश है। उन्होंने जीवन के विभिन्न पहलुओं पर अपनी राय रखी है। उनकी रचनाएं आज भी लोगों को प्रेरणा देती हैं।
4. अलंकारों का प्रयोग: तुलसीदास जी ने अपनी रचनाओं में अनेक अलंकारों का प्रयोग किया है। उपमा, रूपक, उत्प्रेक्षा, अनुप्रास, यमक, श्लेष आदि अलंकारों का उन्होंने कुशलतापूर्वक प्रयोग किया है, जिसके कारण उनकी रचनाएं और भी प्रभावशाली बन गई हैं।
5. लोकप्रियता: तुलसीदास जी की रचनाएं आज भी उतनी ही लोकप्रिय हैं जितनी कि उनके समय में थीं। उनकी रचनाओं का हिंदी साहित्य पर गहरा प्रभाव पड़ा है।
तुलसीदास का जीवन का महत्व क्या है?
तुलसीदास जी हिंदी साहित्य के सबसे महान कवियों में से एक हैं। उनका जन्म 1511 में हुआ था और उनकी मृत्यु 1623 में हुई थी। उन्होंने अपने जीवनकाल में अनेक रचनाएं लिखीं, जिनमें रामचरितमानस, हनुमान चालीसा, विनय पत्रिका, दोहावली, कृतत्वबोध, गीतावली, रामलाल चरितु, जानकी मंगल, कवितावली, साहित्य रत्नाकर, सुंदरकांड, वामनचरित, और श्री रामचरितमाहापुराण आदि प्रमुख हैं।
तुलसीदास जी का जीवन अनेक विपत्तियों और संघर्षों से भरा था। उनका जन्म एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था, लेकिन उनके पिता उनका जन्म होते ही त्याग कर चले गए। उनकी माँ ने उनका पालन-पोषण किया।
तुलसीदास जी बचपन से ही भगवान राम के प्रति भक्त थे। उन्होंने रामचरितमानस की रचना अवधी भाषा में की, जो आज भी हिंदी साहित्य की सबसे लोकप्रिय रचनाओं में से एक है।
तुलसीदास जी ने अपने जीवन में अनेक सामाजिक सुधारों का भी काम किया। उन्होंने जातिवाद और छुआछूत का विरोध किया और महिलाओं के अधिकारों की वकालत की।
तुलसीदास जी का जीवन और रचनाएं आज भी लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं। वे हिंदी साहित्य के एक महान स्तंभ हैं और उनका योगदान सदैव स्मरण किया जाएगा।