Arvind Ghosh |अरविन्द घोष

श्री अरविंद घोष Arvind Ghosh (1872-1950 ) : श्री अरविंद घोष आधुनिक भारत केएक महान विचारक व दार्शनिक थे। वह स्वतंत्रता आंदोलन के भी एक महान व प्रसिद्ध नेता थे जो बाद में एक योगी व रहस्यपूर्ण व्यक्ति बन गये थे।

Arvind Ghosh

Biography of Arvind Ghosh

श्री अरविंद घोष का जन्म 15 अगस्त, 1872 को पश्चिम बंगाल के कोन नगर हुआ था। दार्जलिंग के लोरियो कान्वेंट स्कूल से अपनी शिक्षा समाप्त करने के बाद वह उच्चतर शिक्षा प्राप्त करने के लिए इंग्लैंड चले गये। उन्होंने लंदन के सेंटपॉल स्कूल में 1884 में प्रवेश लिया। सीनियर क्लासिकल स्कॉलरशिप प्राप्त करने के बाद 1890 में उन्होंने किंग कालेज कैंब्रिज में दाखिला लिया।

भारत वापस आने के बाद उन्होंने संस्कृत और भारतीय संस्कृति तथा धर्म व दर्शन का गहन अध्ययन किया और उसके बाद 1910 तक बंगाल कांग्रेस में रहते हुए देश को आजादी दिलाने के लिए तथा ब्रिटिश सरकार को जड़मूल से नष्ट कर देश से बाहर खदेड़ने के लिए पूरे भारतवासियों से आग्रह किया कि सामानों तथा ब्रिटिश सरकार द्वारा चलायी गयी किसी भी योजना या अभियान का जमकर विरोध व बहिष्कार करें।

उनकी इस असीम सक्रियता को देखते ब्रिटिश सरकार ने 1910 में उन्हें अलीपुर जेल में एक हुए वर्ष के लिए बंद कर दिया।अपनी जेल यात्रा के दौरान श्री अरविंद घोष को आध्यात्मिक रहस्यमय अनुभव प्राप्त हुआ जो कि उनके ऊपर गहरा व गंभीर प्रभाव छोड़ गया। उसके बाद उन्होंने एक योगी की तरह जिंदगी जीने के लिए जीवन शैली में परिवर्तन कर लिया तथा तमिलनाडु के पाण्डिचेरी नामक स्थान पर करने के लिए चले गये और वहां पर एक आश्रम की स्थापना की।

Arvind Ghosh का दर्शन सिद्धांत एक माता के सदृश है जो कि हर तरह से सहनशीलत है। अवली को एक सार्वभौमिक आध्यात्मिक प्रतीक के रूप में 1968 में स्थापित किया गया। अरविंद ने एक दार्शनिक पत्रिका द आर्य का प्रकाशन शुरु किया ।

Books of Arvind Ghosh

द आइडियल ऑफ ह्यूमन यूनिटी, द सिन्थिसिस ऑफ योग व द लाइफ डिवाइन आदि।

अरविन्द घोष का राजनैतिक सफर

श्री अरविंद( Arvind Ghosh ) के राजनीतिक व दर्शन के चिंतन को दो अलग-अलग धारा- के रूप में नहीं बांटा जा सकता है क्योंकि उनके सभी राजनैतिक चिंतन का आधार आध्यात्मिक व नैतिक सिद्धांत के ऊपर टिका हुआ है। जिसके अंतर्गत उनके दर्शन का चिंतन रूप छिपा हुआ है। इस प्रकार अरविंद का राष्ट्रवाद साधारण रूप में केवल एक राजनैतिक योजना या बौद्धिक विचार को ही समाहित नहीं किये हुए है बल्कि ईश्वर प्रदत्त एक धर्म का आध्यात्मिक प्रयास भी है। राष्ट्रवाद एक सक्रिय धर्म का रूप है जिसका मुख्य या प्रधान हथियार आध्यात्मिक है।

अरविंद घोष का विश्वास था कि भारत के राष्ट्रीय आंदोलन को एक दिन अवश्य सफलता प्राप्त होगी। अतः उनकी नजर में स्वराज केवल राजनैतिक स्वतंत्रता ही नहीं है। स्वराज का अभिप्राय है – आध्यात्मिक मार्ग दर्शन के अंतर्गत पूरी मानवता को समाहित कर लेना। राष्ट्रीय उत्पीड़न को समाप्त करने के लिए अरविंद ने सत्याग्रह आंदोलन के साथ ही साथ सक्रिय रूप से शक्ति का भी समर्थन किया। एक राष्ट्र के लिए राजनैतिक स्वतंत्रता का महत्व होता है तथा राष्ट्र की सुरक्षा हर कीमत पर करनी चाहिये, चाहे उसके लिए कोई भी उचित माध्यम अपनाना पड़े।

श्री अरविंद घोष इस बात से पूरी तरह सहमत थे कि राष्ट्र की प्रतिष्ठा व शान के लिए प्रत्येक व्यक्ति को जी-जान से अपना जीवन पूर्णतया समर्पित करना चाहिए। केवल राष्ट्र के साथ स्वयं अपनी पहचान बनाकर ही कोई व्यक्ति किसी तरह की उपलब्धि प्राप्त कर सकता है। उनके दृष्टिकोण में मात्र व्यक्तियों का समूह ही राष्ट्र नहीं है। राष्ट्र एक संगठन के रूप में है जैसा कि एक व्यक्ति का अपना अस्तित्व है, उसी तरह राष्ट्र का भी अपना अस्तित्व है।

समाज की गतिविधियां एक व्यक्ति को मानवीय आदर्श प्राप्त करने में मदद करती है। इस तरह समाज का आदर्श मानवीय अस्तित्व के धरातल पर टिका हुआ है।

Jiwan Parichay

जवाहरलाल नेहरू | Jawaharlal Nehru ,

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Ratan Tata Biography In Hindi

जाकिर हुसैन | Dr. Jakir Husain

एनी बेसेंट | Annie Besant

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एनी बेसेंट | Annie Besant

एनी बेसेंट का जीवन परिचय | Annie Besant (1847-1933 ) : एक आयरिश महिला एनी बेसेंट 1893 में भारत में आयीं। एनी बेसेंट भारत के धार्मिक परंपराओं से बहुत गहराई से प्रभावित व प्रेरित थी और वह धार्मिक क्षेत्रों में भी कार्य करना चाहती थीं। वह राजनैतिक क्षेत्र में शुरूआती दौर में भारत में ठहरने व कार्य करने केउद्देश्य से भारत नहीं आयी थी।

Annie Besant
Annie Besant

जन्म–१ अक्टूबर १८४७लन्दन कलफम

मृत्यु –20 सितम्बर 1933 (उम्र 85)अड्यार मद्रास

प्रसिद्धि कारण – थियोसोफिस्ट, महिला अधिकारों की समर्थक, लेखक, वक्ता एवं भारत-प्रेमी महिला

जीवनसाथी– रेवरेण्ड फ्रैंक बीसेंट

Annie Besant biography

Annie Besant 1888 में इंग्लैण्ड में थियोसोफिकल सोसाइटी के प्रधान के रूप में नियुक्त हुई थीं और उन्होंने सामाजिक सुधार के कार्य में प्रशंसनीय भूमिका निभाई थी। वह उच्च शिक्षा में सुधार लाने के लिए प्रयास करती रहीं और इसी के परिणामस्वरूप उन्होंने सेंट्रल हिन्दू स्कूल और कॉलेज की स्थापना की जो कि बाद में चलकर बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के रूप में विकसित हुआ। वह निम्न जाति के महिलाओं की सुरक्षा, अधिकार व समानता की प्राप्ति के लिए सदैव प्रयत्नशील रहीं। वह सच्चे अर्थों में पंचायती राज व्यवस्था का कायाकल्प करना चाहती थीं। उन्होंने गीता का अंग्रेजी में अनुवाद लोटस सांग्स के नाम से किया।

उन्होंने ऋषि अगस्त्य की प्रेरणा से 1913 में राजनीति में प्रवेश किया जो चाहते थे कि एनी बेसेंट, बाल विवाह जैसी सामाजिक बुराइयों को समाप्त करने के लिए समर्पित लोगों के साथ एक छोटा-सा संगठन बनाएं। उनका मानना था कि इस तरह धीरे-धीरे सामाजिक सुधार की वास्तविकता से परिचय कराकर लोगों को ब्रिटिश सरकार की गुलामी को संघर्ष द्वारा समाप्त किया जा सकता है।

Annie Besant राजनीति में सक्रिय हो गयीं और अद्वितीय यश प्राप्त किया। उस महान विप्लवकारी दिनों में एक विदेशी महिला होते हुए भी उन्होंने एक कुशल ‘नेत्री के रूप में अपनी अलग पहचान बना ली थी। इस बीच उन्होंने अपने विरोधियों का डटकर सामना भी किया। एक तरफ उन्होंने सनातन धर्म में संदेह करने वालों को जाग्रत करते हुए कहा कि वह प्राचीन इतिहास के अनुरूप एक हिन्दू हैं, दूसरे तरफ भारत में रह रहे अंग्रेजों ने उनका तिरस्कार किया, तब वह बार-बार उन्हें कहती रहीं कि भारतीय सनातन धर्म उन्हें राजनैतिक व सांस्कृतिक रूप से जाग्रत कर सकता है बशर्ते कि वे लोग जाग्रत होना चाहें, अन्यथा नहीं उन्होंने राजनीति में उस समय कदम रखा जब कांग्रेस कठिन परिस्थितियोंसे गुजर रही थी।

सूरत विभाजन ने यह निर्णय लेने को मजबूर कर दिया किविदेशियों को देश से बाहर निकाल देने के लिए कार्य-कलाप में आई कमियों को दूर कर एक ठोस कदम उठना चाहिए था। बेसेंट ने महसूस किया कि कांग्रेस में क्रांतिकारियों का महत्व बहुत अधिक है। इन सब बातों को देखते हुए वह दृढ़ संकल्प लेकर भारत के राजनीति में कुछ सुधार कार्य करने केलिए 1916 में लखनऊ अधिवेशन में कांग्रेस में सम्मिलित हुईं।

उनकी राय में भारत को स्वतंत्र सरकार व राष्ट्र की मांग करनी चाहिए और इसके लिए प्रथम विश्वयुद्ध से बिल्कुल प्रभावित नहीं होना चाहिये। इस उद्देश्य की प्राप्ति के लिए एक ‘होमरूल लीग’ की स्थापना की। इसका मुख्य उद्देश्य था-कांग्रेस के सहायक के रूप में कार्य करना। पर कांग्रेस ने उनके ‘होमरूल लीग’ को अस्वीकार कर दिया, उन्होंने इन सबके बावजूद अपने इस आंदोलन की कई शाखाएं खोलीं जिसके अंतर्गत वह ब्रिटिश सरकार के ज्यादतियों के खिलाफ काफी प्रगतिशील कार्य करती रहीं।Annie Besant

ऐनी बेसेंट Annie Besant राजनैतिक व सामाजिक सुधारों के विचारों को प्रसारित करती रहीं। वह 1917 में कांग्रेस के कलकत्ता अधिवेशन की अध्यक्ष नियुक्त की गईं । ऐनी बेसेंट के विचारों और कांग्रेस तथा गांधी के विचारों में भिन्नता बढ़ती गयी जिसके चलते वे शीघ्र ही राजनैतिक रंगमंच की पृष्ठभूमि से हट गयी। वह महसूस करती थी कि “मोंटेग्यू-चेल्म्सफोर्ड सुधारों” के जरिए ही भारत को आजादी दिलायी जा सकती है पर गांधी की दृष्टि में यह सुधार अपर्याप्त व अक्षम था।Annie Besant

ऐनी बेसेंट ने 1920 में कांग्रेस के में भाग नहीं लिया। अपने जीवन के शेष 13 वर्षों में वह राजनीति से सब नागपुर अधिवेशन तरह से अलग हो गयीं, फिर कभी किसी अधिवेशन में न तो भाग लिया न कभी कोई परामर्श दिया।

और biography पढ़ें Ratan Tata Biography In Hindi जवाहरलाल नेहरू | Jawaharlal Nehru

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जवाहरलाल नेहरू | Jawaharlal Nehru

पं॰ जवाहरलाल नेहरू


जवाहरलाल नेहरू | Jawaharlal Nehru अनेक भारतीयों, जिनमें वृद्ध और नौजवान भी सम्मिलित थे तथा पंडित जवाहरलाल नेहरू ने विदेशी शासन के विरुद्ध अत्यंत साहस, बुद्धिमत्ता, गौरवशाली एवं मानवीय ढंग से स्वतन्त्रता की लड़ाई लड़ी तथा भारत को स्वतन्त्र कराकर विश्व पटल पर एक स्वस्थ लोकतान्त्रिक देश के रूप में स्थापित किया, जिसके फलस्वरूप भारत प्रगति एवं समृद्धि के मार्ग पर अग्रसर हुआ। भारतीय स्वतन्त्रता के महान, अग्रणी देवदूत एवं स्वाधीनता प्राप्ति के कंटकपूर्ण मार्ग पर चलने वाले इस अदम्य नेता का जन्म 14 नवम्बर, 1889 को हुआ था।

नेहरू के पूर्वज कश्मीर से आये थे। उनका मौलिक पारिवारिक नाम नेहरू नहीं बल्कि कौल था। नेहरू के पिता मोतीलाल नेहरू एक अत्यंत सफल वकील थे, जिनकी धन अर्जित करने की योग्यता उनकी खर्च करने की योग्यता की अपेक्षा अधिक थी।

Jawaharlal Nehru
पं॰ जवाहरलाल नेहरू का

पं॰ जवाहरलाल नेहरू का जीवन परिचय

जब जवाहरलाल 3 वर्ष के थे, तब उनके पिता इलाहाबाद के आनन्द भवन में आ गये, जो कि एक अत्यंत शानदार घर था जिसमें एक स्विमिंग पूल, बिजली तथा पानी की पर्याप्त व्यवस्था थी। इस प्रकार की सुविधाओं से युक्त भवन इलाहाबाद में पहली बार बना था। आनन्द भवन विदेशी तथा भारतीय जीवन पद्धति के बीच उत्कृष्ट सामंजस्य का उदाहरण प्रस्तुत करता था।

मोतीलाल नेहरू ने अपनी पत्नी स्वरूप रानी एवं बच्चों के साथ आनन्दमय जीवन व्यतीत किया। जैसा कि इस जीवन के बारे में सच्चाई को स्वीकार करते हुए जवाहरलाल ने अपनी आत्मकथा में वर्णित किया है, “एक समृद्धिशाली मां-बाप की इकलौती सन्तान के बर्बाद होने की सम्भावना ज्यादा रहती है , और वह भी विशेष रूप से भारत में हो तो बर्बाद होने से बचने की संभावना अत्यंत कम ही रहती है।” उनका बचपन एकाकी रहा। Jawaharlal Nehru

Jawaharlal Nehru की शिक्षा

16 वर्ष की आयु में वे हैरो विश्वविद्यालय लन्दन में पढ़ने गए। उससे पूर्व नेहरू कभी स्कूल नहीं गए। उनकी शिक्षा-दीक्षा क्रमबद्ध ढंग से अंग्रेजी आयाओं तथा निजी शिक्षकों द्वारा घर पर ही हुई और इन सबमें केवल फर्डीनाण्ड टी. ब्रुक्स ही युवा नेहरू को प्रभावित कर सके व अपनी छाप छोड़ पाये ब्रुक्स ने जवाहरलाल के मन-मस्तिष्क में दो रुचियों का विशेष रूप से विकास किया, एक, पढ़ने में रुचि लेना, तथा; दूसरा, विज्ञान और उसके रहस्यों के प्रति एक जिज्ञासु प्रवृत्ति अपनाना।Jawaharlal Nehru

मई 1905 में जवाहरलाल ने अपने माता-पिता के साथ में इंग्लैण्ड की यात्रा की। उन्होंने 1905 के क्रिसमस सत्र में हैरो विश्वविद्यालय में प्रवेश लिया और 1907 के ग्रीष्म सत्र में उसे छोड़ दिया। हैरो में उन्होंने वे सभी कार्य किए जो अनुरूप एक पब्लिक स्कूल के लड़कों के लिए अनिवार्य थे। यद्यपि वहां के वातावरण के अनुकूल न होने पर भी उन्होंने स्वयं को नई परिस्थितियों के ढाला। वे यहां स्वयं अपनी इच्छा से आए थे किंतु यहां के बौद्धिक संयम एवं कारावास स्वरूप जीवन से उन्हें कष्ट पहुंचा।

अक्टूबर 1907 में वे विश्व के सबसे बड़े विश्वविद्यालय कैम्ब्रिज के ट्रिनिटी महाविद्यालय में अध्ययन हेतु गए। विज्ञान विषय में रुचि के कारण उन्होंने कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय की अंतिम उपाधि परीक्षा के लिए प्राकृतिक विज्ञान को चुना, जबकि उनके विषय रसायनशास्त्र, भू-गर्भशास्त्र तथा वनस्पति विज्ञान थे। Jawaharlal Nehru

किंतु उनकी रुचि का क्षेत्र अत्यंत व्यापक था और स्वाभाविक रूप से जिज्ञासु प्रवृत्ति होने के कारण उनका मस्तिष्क नवीन अनुभवों की प्राप्ति के लिए सदैव प्रयत्नशील रहता था। राजनीति शास्त्र व अर्थशास्त्र उन्हें आकर्षित करते रहे तथा इतिहास व साहित्य के प्रति उनका झुकाव दिनों-दिन बढ़ता गया। जो भी हो पर जवाहरलाल विश्वविद्यालयी जीवन में छात्रों के बीच अपना कोई विशेष प्रभाव नहीं छोड़ पाये। Jawaharlal Nehru

ब्रिटेन में 7 साल तक रहने के बाद भी जवाहरलाल का परीक्षा परिणाम बहुत ही असंतोषजनक रहा पर पुस्तक प्रेमी होने के कारण उन्होंने एक अच्छा-सा पुस्तकालय बना लिया था। एम.जे. अकबर के अनुसार, “जवाहरलाल निश्चित रूप से ब्रिटेन के प्रेमी हो गये।” इसका प्रमाण यह है कि अपनी वापसी के 10 साल बाद भी मई 1922 में अपने ट्रायल के संबंध में चर्चा करते हुए ब्रिटिश जज से कहा, “मैं इंग्लैण्ड व अंग्रेजों के प्रति उतने ही लगाव के साथ भारत वापस आया हूं जितना कि एक भारतीय के लिए होना सम्भव था।

जवाहरलाल नेहरू | Jawaharlal Nehru देशभक्ति व स्वाधीनता के प्रति ब्रिटिश सरकार की प्रतिबद्धता के वे प्रशंसक थे। भारत में एक भारतीय के रूप में पूर्ण स्वतन्त्रता चाहते थे। धीरे-धीरे ब्रिटिश नियमों के प्रति उनकी घृणा इतनी बढ़ती गई जितनी कि वे किसी से घृणा नहीं करते थे। वे खोज और उत्साह की मनोभावना के साथ इंग्लैण्ड गये थे लेकिन भारत की खोज के लिए अपनी मातृभूमि को लौट आए। यह कम महत्वपूर्ण नहीं है कि कुछ ही वर्षों के बाद उनकी जो पुस्तक प्रकाशित हुई वह भारत की खोज (Discovery of India) ही थी।Jawaharlal Nehru

नेहरू सर्वप्रथम गोपाल कृष्ण गोखले की “सर्वेन्ट्स ऑफ इन्डिया सोसायटी” की तरफ आकर्षित हुए। सेवा व त्याग की भावना से ‘सोसायटी’ से प्रभावित होते हुए भी उन्होंने न तो तब न बाद में उसमें सम्मिलित होने की बात सोची । फ्रैंक मोरास के अनुसार, “उस समय नेहरू की नजर में गांधी का नाम बहुत गइराई तक घर कर गया। दक्षिण अफ्रीका सरकार के खिलाफ गांधी द्वारा संचालित नटाल सत्याग्रह से नेहरू बहुत प्रभावित हुए, जो कि श्रमिकों पर लगने वाले वार्षिक कर को समाप्त करने या रद्द करने के लिए चलाया था।

नेहरू का विवाह 8 फरवरी, 1910 को दिल्ली में कमला के साथ हुआ। 26 वर्षीय जवाहर तथा 17 वर्षीया कमला का विवाह उस समय की सबसे महत्वपूर्ण घटना थी। 19 नवम्बर, 1917 को इस दम्पत्ति के घर एक पुत्री का जन्म हुआ, जिसका नाम इन्दिरा प्रियदर्शनी रखा गया ।Jawaharlal Nehru biography

आधुनिक भारत के राजनैतिक इतिहास में 1916 के वर्ष का अपना एक अलग ही महत्वपूर्ण स्थान है। उस वर्ष कांग्रेस के लखनऊ अधिवेशन में कांग्रेस तथा मुस्लिम लीग ने एक साथ मिलकर काम करने का निर्णय किया। इसी वर्ष नेहरू की पहली बार गांधी जी से मुलाकात हुई। इस अधिवेशन में न तो नेहरू किसी किसी निर्णय पर पहुंच पाए और न ही गांधी जी। उसी वर्ष नेहरू को तिलक और एनी बेसेन्ट द्वारा संचालित प्रॉविन्शियल होम रूल लीग का संयुक्त सचिव बना दिया गया। बहुत समय बाद नेहरू ने श्रीमती बेसेन्ट के संबंध में अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि, “उनके व्यक्तित्व ने मेरे बचपन को काफी प्रभावित किया और राजनीति में हिस्सा लेने के बाद भी उनका प्रभाव बरकार रहा ।”Jawaharlal Nehru biography

Baba Saheb Dr Bhim Rao Ambedkar

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जाकिर हुसैन | Dr. Jakir Husain

डॉक्टर जाकिर हुसैन (1897-1969): डॉ. जाकिर हुसैन एक प्रतिष्ठित राष्ट्रवादी व एक महान शिक्षाशास्त्री थे। इनका जन्म फरवरी 1897 में हैदराबाद में एक अफगानी परिवार में हुआ था। 1913 में इटावा के “इस्लामिया हाईस्कूल” से मैट्रिक की परीक्षा पास करने के बाद उन्होंने अलीगढ़ के “मोहम्मडन एंग्लो ओरिएंटल कालेज” में प्रवेश लिया। जाकिर हुसैन अपने समय के मेधावी विद्यार्थी थे तथा साथ ही साथ अन्य कार्यकलापों में भी असाधारण रूप से उनकी प्रतिभा का निखार देखने को मिलता था।

Dr. Jakir Husain
Dr. Jakir Husain

जाकिर हुसैन का राजनैतिक जीवन 1920 में शुरू हुआ तथा गांधी के आह्वान पर 1921 के असहयोग आंदोलन में एक वीर सेनानी के रूप में अपने आपको देश की आजादी प्राप्ति के पथ पर समर्पित कर दिया तथा शिक्षा संस्थान के अध्ययन से अलग कर लिया। गांधी के मिशन से गहरे रूप में प्रभावित होने के बाद राष्ट्रीय शिक्षा के केंद्रीय विकास के लिए कुछ विद्यार्थियों व अध्यापकों की मदद से एक संस्थान की स्थापना की जो कि बाद में जामिया मिलिया इस्लामिया के नाम से प्रसिद्ध हुआ ।1923 में वे उच्च शिक्षा की प्राप्ति के लिए जर्मनी गये तथा 1926 में बर्लिन विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में डॉक्टरेट की डिग्री प्राप्त की।Dr. Jakir Husain

जर्मनी में अपनी यात्रा के दौरान जाकिर हुसैन जामिया के साथ भी संपर्क में रहे और घनिष्ठ रूप में उसके विकास के लिए प्रयास करते रहे। 1926 में भारत वापस आने पर 29 वर्ष की अवस्था में विश्वविद्यालय के उप-कुलपति के पद पर नियुक्त किये गये । उनके कैप्टनशिप के अंतर्गत उन्होंने जामिया को उच्च शिखर पर पहुंचाया, जिसके परिणामस्वरूप इस विश्वविद्यालय ने विश्व के शिक्षाशास्त्रियों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया।डॉ. जाकिर हुसैन 2631997 में उन्होंने वर्धा में राष्ट्रीय योजना सम्मेलन में भाग लिया। जाकिर हुसैन को “प्रारंभिक राष्ट्रीय शिक्षा योजना” का विस्तार प्रारूप तैयार करने का भार सौंपा गया। इस संबंध में उनके द्वारा तैयार प्रारूप बड़े स्वागत के साथ स्वीकृत कर लिया गया। इसके साथ ही साथ जाकिर हुसैन ने प्रारंभिक शिक्षा प्रचार की भी जिम्मेदारी अपने ऊपर ले ली। Dr. Jakir Husain

1948 में उन्हें सर्वसम्मति से यूनिवर्सिटी कोर्ट द्वारा “अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय” का उपकुलपति नियुक्त किया गया। 1948 में उन्हें “भारतीय विश्वविद्यालय आयोग” का एक प्रतिष्ठित सदस्य नियुक्त किया गया। शिक्षा के क्षेत्र में उनके प्रतिभायुक्त कार्यों को देखते हुए यूनेस्को (संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन) के प्रशासनिक बोर्ड में एक सदस्य के रूप में नियुक्त किये गये। वह “भारतीय प्रेस आयोग”, “अंतरराष्ट्रीय शिक्षा सेवा” तथा सीबीएसई आदि से भी जुड़े रहे।डॉ. जाकिर हुसैन 1952 व 1956 में दो बार राज्यसभा के सदस्य रहे। 1957 में उन्हें बिहार का राज्यपाल नियुक्त किया गया था। 1962 में उन्हें भारत के उपराष्ट्रपति पद पर नियुक्त किया गया। 1967 में उन्हें देश के राष्ट्रपति पद पर नियुक्त किया गया। Dr. Jakir Husain

उनका देहांत 3 मई 1969 को उस पद पर रहते ही हो गया।डॉ. जाकिर हुसैन ने प्लेटो की पुस्तक रिपब्लिक तथा एडविन कैनन की पुस्तक इलिमेंटरी पोलिटिकल इकोनामी का अनुवाद किया। उन्होंने जर्मन भाषा में एक पुस्तक लिखी-डाई बोट्स चाफ्टडेस महात्मा गांधी। उनके बहुत से भाषणों का संकलित जो कि भिन्न-भिन्न सभाओं व अधिवेशन में दिया गया, का संकलन रूप डायनामिक यूनिवर्सिटी नामक शीर्षक से प्रकाशित हुआ है। उन्होंने बच्चों के लिए बहुत-सी छोटी-छोटी कहानियां उपनाम या छद्म नाम से लिखी। उनमें से एक था रुक्कैया रेहाना ।एक महान शिक्षाशास्त्री के रूप में वह इस बात पर जोर देकर कहते थे कि प्रारंभिक शिक्षा के आधार पर ही एक बच्चे का, चहुंमुखी विकास किया जा सकता है। Dr. Jakir Husain

वह इस बात के भी प्रबल रूप से समर्थक थे कि धर्मनिरपेक्षता के मार्ग पर चलकर ही साम्प्रदायिकतापूर्ण राजनीति व व्यवहार से छुटकारा पाया जा सकता है। डॉ. जाकिर हुसैन का आध्यात्मिक दर्शन के ज्ञान का भी कोई जवाब नहीं जिसके चलते उनकी जिंदगी भी सूफी संतों के अनुरूप रही। राष्ट्र के लिए पूर्ण रूप से समर्पित मानवीय गुणों के इस चितेरे को 1963 में भारत रत्न के पुरस्कार से सम्मानित किया गया।Dr. Jakir Husain

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Sonu Kumar biography | सोनू कुमार बिहार ब्वॉय का जीवन परिचय

Sonu Kumar biography | सोनू कुमार बिहार ब्वॉय । सोनू कुमार बिहार में जन्मे एक बहुत ही गरीब परिवार का बच्चा है । जो अपने पढ़ाई के लिए बहुत ही चिंतित है । और आईएएस अफसर बनने के लिए बिहार की शिक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं । सोनू कुमार का कहना है कि अगर सरकारी स्कूल की शिक्षा व्यवस्था को नहीं सुधरा गया तो एक भी बच्चा पढ़ लिख कर अफसर नही बन सकता है ।

Sonu Kumar biography
सोनू कुमार

बहुत ही कम उम्र का बच्चा जो महज 12 वर्ष का बच्चे ने पूरे सरकारी शिक्षा व्यवस्था पर सवालिया निशान लगा दिया है । इस छोटे से बच्चे ने आईएएस बनने का सपना लेकर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से दो बार मिल चुका है । और उनसे बोल भी चुका है कि ,”सर हमको पढ़ने के लिए हिम्मत दीजिए “। Sonu Kumar biography

sonu viral boy hoby/ WIKI इनका परिवार दही बेचकर चलता है । जो स्कूल की फीस भरने तक सक्षम नहीं हैं ।

सोनू कुमार के माता पिता

सोनू कुमार एक बहुत ही गरीब परिवार से है । इनके घर का खर्चा बड़ी मुश्किल से चल पाता है । मां एक हाउस वाइफ और पिता एक गरीब किसान हैं । जिन्हे शराब पीने की लत लग गई है । सोनू की फीस भरने में इनके पिता सक्षम नहीं हैं । इन्ही सब समस्याओं को लेकर सोनू कुमार ने अपने शिक्षा के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से भी मिल चुका है । मुखमंत्री ने आश्वासन भी दिया है । अपने अधिकारियों से सोनू के फीस और एडमिशन की व्यवस्था करने के लिए बोल भी दिए हैं । Sonu Kumar biography anayasha.com

सोनू कुमार की शिक्षा

सोनू कुमार एक बहुत ही होनहार छात्र हैं । ये नीमा कुल में एक प्राथमिक विद्यालय सरकारी स्कूल में कक्षा पांच में पढ़ाई कर रहे हैं । सोनू का कहना है कि सरकारी स्कूल में पढ़कर कोई भी छात्र अच्छी सर्विस नहीं पा सकता है । ये सरकारी स्कूल के कक्षा 8 तक और प्राइवेट स्कूल के कक्षा पांच तक के बच्चों को ट्यूशन पढ़ाते हैं । पढ़ें anayasha.com

Sonu Kumar

Sonu Kumar biography | सोनू कुमार का जीवन परिचय

नालंदा बिहार के एक छोटे से गांव में पैदा हुए हैं । इनकी उम्र 12 वर्ष है । सोनू के बारे में कुछ जानकारियां निम्न लिखित हैं ।

नामसोनू कुमार
निक नेमसोनू
जन्म स्थाननालंदा बिहार
उम्र 12 वर्ष
योग्यतापंचावी क्लास
सपनाआईएएस बनना चाहते हैं
व्यवसाय दही बेचना
माता हाउस वाइफ
पिताकिसान
धर्म हिंदू
सोनू कुमार

अभी सोनू कुमार के बारे में जो भी जानकारी मिल पाई है वो मैने लिखा है जैसे जैसे कोई जानकारी मिलेगी इस पोस्ट में अपडेट करते रहेंगे । आप को यह पोस्ट कैसा लगा कृपया कमेंट करके बताएं । Sonu Kumar biography

सोनू कुमार के बारे में कुछ रोचक तथ्य

  • सोनू कुमार एक बहुत ही निडर बालक है ।
  • यह पांचवी कक्षा तक के बच्चों को ट्यूशन पढ़ाता है ।
  • दो बार बिहार के मुख्यमंत्री नीतिश कुमार से मिल चुका है ।
  • सरकारी शिक्षा व्यवस्था के साथ साथ अपने शिक्षक पर भी सवालिया निशान लगा दिया है ।
  • ये एक शाकाहारी हैं ।
  • इनके दो चाचा हैं जिनका नाम रंजीत कुमार और रनबीर कुमार हैं ।

सोनू कुमार ने बहुत लोगों का ऑफर ठुकराया

सोनू को बहुत से लोगों ने ऑफर दिया था लेकिन इस बच्चे ने उनके ऑफर को ठुकरा दिया था । एक बार पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के बेटे तेजस्वी यादव ने कहा कि जब तुम आईएएस अधिकारी बन जाना तो मेरे अंडर में काम करना । इसपर सोनू का जवाब था कि मैं किसी के अंडर में काम नहीं करूंगा ।

इस छोटे से बच्चे के जवाब को सुनकर लोग बहुत हैरान हैं मीडिया वाले भी हैरान हो जाते हैं । एक बार किसी ने पूछा कि तुम क्या मुख्यमंत्री बनोगे तो उसने जबाब दिया की उसे मंत्री नहीं आईएएस बनकर देश की सेवा करनी है ।

सोनू की उम्र कितनी है ?

सोनू की उम्र सन 2022 तक 11 वर्ष की हो गई है ।

सोनू कुमार का गांव किस जिले में है ?

सोनू कुमार बिहार के जिला राजगीर नालंदा के रहने वाले हैं ।

सोनू कुमार के पिता का क्या नाम है ?

सोनू कुमार के पिता का नाम रणविजय है ।

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Janhavi Panwar | जान्हवी पंवार एक वंडरगर्ल

Janhavi Panwar | जान्हवी पंवार एक वंडरगर्ल । जान्हवी पंवार एक मशहूर गर्ल जो वंडर गर्ल के जानी जाती हैं । इनके पीछे एक बहुत बड़ा कारण है जिसकी वजह से लोग इन्हे वंडर गर्ल के नाम से जानते है । कारण ये है की बहुत कम उम्र में ही वो मुकाम हासिल कर लिया है जो बहुत हाई व्यक्तित्व वाले व्यक्ति भी नहीं कर सकता है । 16 साल की उम्र मे ही इन्होने सत्यवती दिल्ली यूनिवर्सिटी से आर्ट्स से ग्रेजुएशन कर चुकी हैं । 9 बिदेशी भाषाओं मे उन्ही के लहजे बात करने में महारत हासिल कर चुकी हैं । जान्हवी पंवार को महज 11 साल की उम्र मे ही इनकी प्रतिभा को देखते हुए “ इंडियाज़ वंडर गर्ल ” की उपाधि दी गयी थी ।

Janhavi Panwar

ये पढ़ने में इतना तेज थी , इसीलिए जान्हवी पंवार को एक साल मे दो दो क्लास पास पास करने की अनुमति दी गयी थी । महज 7 साल की की उम्र मे ही वे आठवीं कक्षा में पहुच गयी थी । जान्हवी को बहुत कम उम्र में ही नई भाषाओं को सीखने का शौक हो गया था ।

Janhavi Panwar ki biography | जान्हवी पंवार का जीवन परिचय

जान्हवी पंवार का जन्म 8 नवंबर 2003 को शहरमलपुर , समालखा ,पानीपत हरियाणा में हुआ था । इनके पिता का नाम बृजमोहन है जी एक प्राइवेट स्कूल में टीचर थे । ये माध्यम वर्ग परिवार से बिलाँग करती है । प्रारम्भिक शिक्षा हरियाणा के स्कूल से की थी और ग्रेजुएशन सत्यवती दिल्ली यूनिवर्सिटी से किया था ।

जान्हवी पंवार के रोचक तथ्य

जान्हवी पंवार (Janhavi Panwar) एक अद्वितीय प्रतिभा की धनी हैं । इनके बारे में कुछ जानकारियाँ है जो निम्नलिखित है ।

  1. Janhavi Panwar की सबसे बड़ी बात यह है की 9 बिदेशी भाषाएँ फर्राटे से उन्ही की स्टाइल मे बोल सकती है ।
  2. जान्हवी के पिता ने बताया कि , “जब वो केवल 1 वर्ष कि थी तभी उनको एहसास हो गया था कि उनकी बेटी अपने उम्र के बच्चों से काफी अलग थी ।
  3. ये एक मोटीविशेनल स्पीकर भी हैं जो आईएएस को ट्रेनिंग भी देती हैं ।
  4. बहुत से बच्चों को इंग्लिश सीखने का क्लास भी लेती हैं ।
  5. Janhavi Panwar आईआईटी के छात्रों से लेकर कई बड़ी संस्थाओं में भी मोटिवेशनल स्पीच दे चुकी है । अपने आप को मोटिवेट करने के लिए बहुत से किताबों काअध्ययन कर चुकी हैं ।
  6. इनके पिता इनको इंग्लिश सीखने के लिए हर संडे को लाल किला ले जाया करते थे । और बाहर से आए फारेनर से बात करने के लिए कहते थे । ऐसा करने से जान्हवी को इंग्लिश सीखने में काफी मदद मिलती थी । यहाँ तक की उनकी बाडी लंगवेज़ को भी बड़े ध्यान से पढ़ती थीं और वैसे ही बोलने का प्रयास भी करती थीं । और इंग्लिश बोलने में सफल रहीं ।
  7. जान्हवी एक्सेंटस सीखने के बारे में कहती हैं कि शुरू में विडियो देखकर एक से दो घंटे तक बोलेने का प्रयास करती थी । दो चैनल बीबीसीऔर सीएनएन को एक साथ देखकर ब्रिटिश और अमेरिकन एक्सेण्ट से अच्छी तरह से परिचित हो पायी थी । इन दोनों चैनलों के समाचार देखने के बाद इसको बार बार दोहराती थी । कई बार पैरेंट के सामने तो कई बार सीसे के सामने एक्सेण्टस को दोहराती थी ।
  8. जान्हवी कहती हैं कि यह सब इतना आसान नहीं था , अँग्रेजी के कारण हमेशा अपने स्कूल के बच्चों के निशाने पर रहती थीं । जब भी कोई एक्सेन्ट इनकी जबान से स्कूल मे निकाल जाता था तब सभी बच्चे इनको चिढ़ाते थे ।
  9. जान्हवी बचपन से न्यूज़ और अखबारों में आती थी , इसपर भी लोग इन्हे चिढ़ाते थे कि ”तुम पढ़ाई मे अच्छी नहीं हो फिर भी टीवी पर आती हो ।”
  10. दो दो क्लास एक साथ करने के कारण इनके कोई दोस्त भी नहीं बन पाये हैं ।
  11. वंडर गर्ल का टैग न्यूज़ चैनलों ने लगा दिया है । इसके बाद सब लोग इसी नाम से बुलाने भी लगे । Janhavi Panwar
  12. Janhavi Panwar के पिता इंग्लिश सीखने के लिए इंग्लिश कि शार्ट फिल्म और विडियो क्लिप डाऊनलोड करके जान्हवी को सुनाते थे । जिससे उनको सुनकर समझ सके ।

https://www.instagram.com/reel/CyvZraMvvq9/?igshid=MTc4MmM1YmI2Ng==

Janhavi Panwar | जान्हवी पंवार एक वंडरगर्ल के बारे मे जानकार कैसा लगा कृपया कमेन्ट करके बताएं । Ratan Tata Biography In Hindi कि और Baba Saheb Dr Bhim Rao Ambedkar कि भी बायोग्राफ़ि पढ़ सकते हैं । motivenews.net को भी पढ़ें ।

Sonu Sood biography | सोनू सूद का जीवन परिचय

Sonu Sood biography

Sonu Sood biography | सोनू सूद का जीवन परिचय , . ये एक बहुत अच्छे अभिनेता हैं । सोनू सूद एक ब्यावहार कुशल और लोकप्रिय अभिनेता हैं । ये समय समय पर लोगों की मदद भी करते रहते हैं । ये एक फिल्मी माडल और निर्माता के साथ साथ विज्ञापन मे भी कार्य करते हैं , जो बालीवुड , टालीवुड , कालीवुड और कन्नड जैसी फिल्मों में कम कर चुके हैं ।

Sonu Sood biography

Sonu Sood biography in hindi ( सोनू सूद का जीवन परिचय )

सोनू सूद का जन्म 30 जुलाई 1973 को मोंगा , पंजाब में हुआ था । इनके पिता का नाम शक्ति सागर सूद और माता का नाम सरोज सूद है । इनके पिता पेशे से एक एंटरप्रेन्योर तथा माता सरोज सूद एक टीचर थीं । इनके ब्यक्तिगत जानकार निम्न लिखित है ।

1नाम सोनू सूद
2पिता का नाम शक्ति सागर सूद
3माता का नाम सरोज सूद
4पत्नी का नाम सोनाली सूद
5बच्चे 2 बेटे
6जन्म स्थान मोंगा , पंजाब
7जन्मतिथि 30 जुलाई 1973
8Ist अवार्ड 2009 में बेस्ट पर्फार्मेंस निगेटिव रोल
9IInd अवार्ड2009 में नंदी अवार्ड
10IIrd अवार्ड 2012 में SIIMA अवार्ड
11पहली फिल्म 1999 में कालजघर
12लोकप्रिय किरदार छेदी सिंह
Sonu Sood biography

सोनू सूद का जीवन

एक दमदार विलेन की भूमिका निभाने वाले सोनू सूद एक बहुत ही उदार और हीरो की छवि रखने वाले , एक मशहूर शख्सियत हैं । सोनू सूद बालीवुड से लेकर साउथ सिनेमा में भी अपने अभिनय को लोहा मनवा चुके हैं । ये बहुत सी भाषाओं की फिल्मों में कम कर चुके हैं ,जैसे हिन्दी ,तमिल , तेलुगू , पंजाबी और कन्नड आदि । ये एक सफल अभिनेता के साथ साथ फिल्म निर्माता भी हैं । Sonu Sood biography

Sonu Sood biography

सोनू सूद ने कोरोना काल के समय में लाचार और दुखी लोगों का दिल खोलकर मदद किया था । जिसकी वजह से लोगों के दिलों में एक वास्तविक हीरो के रूप में अपनी जगह बना चुके हैं । Sonu Sood biography | सोनू सूद का जीवन परिचय ।

सोनू सूद की प्रमुख फिल्में

सोनू सूद ने बहुत सारी फिल्मे की हैं जिनमे से कुछ प्रमुख फिल्में निम्नलिखित हैं ।

S.N.फिल्म का नाम वर्ष
1कालजघर 1999
2नेंजिनीले1999
3हैंड्स अप 2000
4मजनू ल 2001
5.शहीद-ए-आजम 2002
6जिंदगी खूबसूरत है 2002
7राजा 2002
8अमैलू अब्बिलु2003
9कहाँ हो तुम 2003
10कोविलपट्टी वीरलक्ष्मी2003
11युवा 2004
12मिशन मुंबई 2004
13अथाडु 2005
14सुपर2005
15चन्द्रमुखी2005
16सिसकियाँ 2005
17आशिक बनाया आपने 2005
18डाइवोर्स 2005
19अशोक2006
20रॉकइन ‘ मीरा 2006
21जोधा अकबर 2008
22सिंह इस किंग 2008
23मिस्टर मेधावी 2008
24एक विवाह ऐसा भी 2008
25एक निरंजन 2009
26सिटी ऑफ लाइफ 2009
27बंगारु बाबू 2009
28ढूंढते रह जाओगे 2009
29अंजानेनेयुलु2009
30अरुंधति 2009
31दबंग 2010
32तिनमार 2011
33शक्ति 2011
34बुड्ढा होगा तेरा बाप 2011
35ओस्ते 2011
36दुकूडु 2011
37कांदिरीगा2011
38वीर विष्णुवर्धन2011
39मैक्सिमम2012
40जुलाई बिट्टू 2012
41ऊ कोदथारा ? उलिक्की पडथारा ?2012
42माधा गधा राजा 2013
43शूटआउट एट वडाला2013
44रमइया वस्ता वैया 2013
45कुछ दिन कुछ पल 2013
46ब्रह्मा 2013
47भाई 2013
48राणा2013
49सिंबा 2018
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सोनू सूद के कुछ रोचक तथ्य

सोनू सूद के बारे में कुछ ऐसी जानकरियाँ हैं जो निम्नलिखित हैं । Sonu Sood biography ।

  1. सोनू सूद बहुत ही लंबे इंसान हैं । ये लंबाई में अमिताभ बच्चन से भी 1 इंच ज्यादा लंबे हैं । वैसे इनकी लंबाई 6 फुट 1 इंच है ।
  2. सोनू सूद की बड़ी बहन हैं , जिनका नाम मोनिका है जो एक वैज्ञानिक हैं ।
  3. सोनू का बचपन से ही अभिनेता बनने की इक्षा थी , हलाकी इनके परिवार मे किसी भी का ब्यक्ति फिल्मी दुनियाँ से ताल्लुक नहीं था ।
  4. सोनू सूद ने पहली बार जिस फिल्म में काम किया था उस फिल्म का नाम शहीद-ए-आजम था , जो काफी सफल फिल्म रही ।
  5. हिन्दी ,पंजाबी , कन्नड ,तेलुगु , और तमिल , पाँच अलग अलग भाषाओं में फिल्मों में काम कर चुके हैं ।
  6. ये अपनी फिटनेस को लेकर हमेशा सक्रिय रहते हैं । हमेशा एक्सर्साइज़ करते रहते हैं ।
  7. जैकी चैन इनके पक्के दोस्त हैं । इनकी दोस्ती कुन जी फू योगा में शूटिंग के दौरान हुई थी ।
  8. इंहोने चीनी फिल्म जुआन जैन्ग में 2016 में चीनी डेब्यू किया था ।

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सोनू सूद के कैरियर की शुरुआत

सोनू सूद बचपन से ही एक इंजीनियर बनाना चाहते थे । इसीलिए नागपुर के यशवंतराव चरण कालेज ऑफ इंजीनियरिंग नागपुर से इंजीनियरिंग भी किया था । लेकिन इसी दौरान सोनू को एक्टिंग और मॉडलिंग का जुनून सवार हो गया । और इसके लिए वे मुंबई आ गए । उनके पास बहुत कम पैसे थे जो कुछ ही दिनों मे खर्च हो गए । ये उस समय एक कमरे में 6 लोगों के साथ रह रहे थे , फिर भी पैसों की तंगी के कारण एक प्राइवेट कंपनी में काम करने लगे । Sonu Sood biography | सोनू सूद का जीवन परिचय

काम के साथ साथ एक्टिंग कंपटीशन में भाग लिया करते थे । इनकी मेहनत रंग लायी और सन 1999 में एक तमिल फिल्म कालजघर में काम करने का मौका मिला । इसके बाद से ही इनके फिल्मी सफर की शुरुआत हो गयी और छोटी मोटी फिल्मों मे काम करने के लिए चांस मिलता गया । एक फिल्म में इंहोने काम किया जो 2008 में जोधा अकबर नाम से थी , इस फिल्म के लिए इन्हे सर्व श्रेष्ठ सहायक अभिनेता के लिए नामित किया गया था । Sonu Sood biography.

इसके बाद इंहोने एक से बढ़कर एक फिल्में किया युवा ,मिशन मुंबई ,आशिक बनाया आप ने , सिसकियाँ ,डाइवोर्स , सिंह इस किंग , एक विवाह ऐसा भी , दबंग , ढूंढते रह जाओगे , बुड्ढा होगा तेरा बाप , शूट आउट एट वाडला ,रमईया वस्तामैया ,सिंबा ,राणा जैसी बहुत से फिल्मे कर चुके हैं ।

Sonu Sood biography | सोनू सूद का जीवन परिचय , पढ़कर इनके बारे में जन ही चुके होंगे आशा है आप को पसंद आया होगा । Sonu Sood biography | सोनू सूद का जीवन परिचय । धन्यबाद .

प्रश्न . सोनू सूद का गाँव कौन सा है ?

उत्तर. सोनू सूद का गाँव मोंगा , पंजाब है ।

प्रश्न . सोनू सूद के पिता का क्या नाम है ?

उत्तर. सोनू सूद के पिता का नाम शक्ति सागर सूद और माता का नाम सरोज सूद है । इनके पिता पेशे से एक एंटरप्रेन्योर तथा माता सरोज सूद एक टीचर थीं ।

प्रश्न .सोनू सूद की पत्नी कौन हैं ?

उत्तर . सोनू सूद की पत्नी का नाम सोनाली सूद है । इनका विवाह 1996 में हुआ था ।

प्रश्न . सोनू सूद का जन्म कब हुआ था ?

उत्तर. सोनुसूद का जन्म 30 जुलाई 1973 को मोंगा , पंजाब में हुआ था।

Allu Arjun biography | अल्लू अर्जुन की जीवनी

Allu Arjun Biography height weight , अल्लू अर्जुन की जीवनी ,अल्लू अर्जुन एक तेलुगु भारतीय फिल्म अभिनेता हैं । ये बचपन से ही एक्टिंग करते आ रहे हैं । इन्होंने फिल्मों में बाल कलाकार के रूप में भी अभिनय कर चुके है । अपने पहली फिल्म गंगोत्री में एक हीरो की भूमिका में नजर आएं हैं । इसके बाद बहुत सारे फ़िल्मों में अभिनय किया है । अल्लू अर्जुन एक मशहूर भारतीय अभिनेता चिरंजीवी के भतीजे हैं ।

Allu Arjun biography
अल्लू अर्जुन

Allu Arjun biography in Hindi

अल्लू अर्जुन का पूरा ब्यौरा निम्न लिखित हैं :

1पूरा नामअल्लू अर्जुन
2घर का नामअल्लू , स्टाइलिस्ट स्टार , बन्नी
3पिता का नामअल्लू अरबिंद
4जन्म तिथि8 अप्रैल 1983
5जन्म स्थानचेन्नई तमिलनाडु भारत
6धर्महिन्दू
7जातियादव
8भाई का नामबड़ा भाई अल्लू बेंकटेश
9छोटा भाई अल्लू सिरीश
10पत्नी का नामस्नेहा रेड्डी 2012–अबतक
11बच्चे2
12माता का नामअल्लू निर्मला
13कार्यकाल2001 से वर्तमान
14पेशाफिल्म अभिनेता , गायक , डांसर
15राष्ट्रीयताभारतीय
16निवासहैदराबाद तेलंगाना भारत
17आंख का रंगभूरा
18बाल का रंगभूरा
19लंबाई5 फुट 9 इंच
20वजन70kg
21चेस्ट42 इंच
22कमर36 इंच
Allu Arjun biography | अल्लू अर्जुन की जीवनी
Allu Arjun biography

अल्लू अर्जुन का फिल्मी सफर

अल्लू अर्जुन बचपन में कुछ फिल्मों में काम किया फिर वयस्क होने के बाद इन्होंने पहली फिल्म गंगोत्री से शुरुआत किया है । इसके बाद इनकी दूसरी फिल्म 2004 में आर्य हिट हुई थी । इन्होंने एक के बाद कई हिट फिल्में किया है । इनकी चौथी फिल्म हैप्पी 2006 में रिलीज़ हुई थी जो बॉक्स ऑफिस पर बहुत हिट हुई । जो बहुत ज्यादा लाभ कमाने में कामयाब रही है ।

2007 में अल्लू अर्जुन की अपनी पांचवी फिल्म देसमुदुरु फिल्म रिलीज हुई जो और अधिक सफल फिल्म रही है । जो रिलीज होने के बाद पहले हफ्ते में ही 19 करोड़ रुपए की कमाई किया । जो अबतक की सबसे ज्यादा कमाई वाली फिल्म रही है ।

शंकरदादा जिंदाबाद में भी अतिथि भूमिका निभाई थी । इनकी सातवीं फिल्म परुगु 1 मई 2008 को रिलीज हुई , इसके निर्माता दिल राजू और निर्देशक भास्कर थे । यह फिल्म 100 दिनो तक सफलता पूर्वक थियेटरों में चली थी ।और काफी चर्चित फिल्म हुई थी । इसी फिल्म की वजह से एक सफल अभिनेता के रूप में चर्चित हुए ।

इनकी बहुत सारी फिल्मों को मलयालम डब किया गया जिनमें से कुछ फिल्मों का नाम भी बदल दिया गया । जिसकी वजह से ये केरल में बहुत लोकप्रिय हो गए । Allu Arjun biography | अल्लू अर्जुन की जीवनी ।

अल्लू अर्जुन का पारिवारिक परिचय

अल्लू अर्जुन के परिवार में बहुत से लोग पहले से ही फिल्मों में काम कर रहे हैं । इनके पिता एक निर्माता हैं । तथा इनके चाचा भी चिरंजिवी भी एक मशहूर फिल्म अभिनेता हैं । और भी कई परिवार के लोग हैं जो फिल्मों में काम करते हैं । तेलुगु सिनेमा में इनका जन्म ही हुआ है । इन्ही सब वजहों से काफी सफल भी रहे हैं । Allu Arjun biography | अल्लू अर्जुन की जीवनी ।

Allu Arjun ki NET Worth

अल्लू अर्जुन एक बहुत ही मशहूर हैं और एक्टिंग भी बहुत अच्छी करते हैं इसलिए इनकी डिमांड बहुत ज्यादा है । अल्लू अर्जुन की कुल संपत्ति 350 करोड़ रुपए जो 47 मिलियन डॉलर के बराबर होता है । फिल्मों के अलावा इनकी कमाई का मुख्य स्रोत एडवरटाइजिंग भी है ।

अल्लू अर्जुन के कुछ रोचक तथ्य

  1. अल्लू अर्जुन एक बहुत अच्छे चारकोल आर्टिस्ट भी हैं ।
  2. इनको मैक्सिकन और थाई डिस बहुत पसंद है ।
  3. अल्लू अर्जुन एक बहुत अच्छे डांसर हैं ।
  4. इनको खाली समय में पुस्तके पढ़ना बहुत पसंद है ।
  5. इनको रानी मुखर्जी और चिरंजीवी फेवरिट फिल्मी कलाकार हैं ।
  6. इनकी सबसे ज्यादा पसंदीदा तेलुगू फिल्म इन्द्र है ।
  7. अल्लू अर्जुन के दादा एक महान कमेडियन थे , जिनका नाम अल्लू राम लिंगैया है ।
  8. जिमनास्टिक और मार्शल आर्ट के लिए अपने स्कूल में प्रसिद्ध थे ।
  9. अल्लू अर्जुन एक मात्र ऐसे अभिनेता हैं जिनके केरेल में सबसे ज्यादा पसंद किया जाता है ।
  10. इनके तीन चाचा चिरंजीवी , पवन कल्याण और नगेन्द्र बाबू फिल्म इंडस्ट्रीज में कार्य करते हैं ।
  11. फेस्बूक पगे पर इनके 1.5 करोड़ फलोवर हैं ।
  12. अल्लू अर्जुन विज्ञापन एवं माडलिंग में भी कार्य कर चुके हैं ।

Allu Arjun On Instagram

अल्लू अर्जुन को मिले अवार्ड एवं पुरस्कार

इनको निम्न लिखित अवार्ड एवं पुरस्कार मिल चुके हैं । Allu Arjun biography | अल्लू अर्जुन की जीवनी

  1. सन 2004 में फिल्म आर्या के लिए नंदी स्पेशल जूरी अवार्ड ।
  2. सन 2009 में फिल्म आर्या 2 के लिए भी नंदी स्पेशल जूरी अवार्ड ।
  3. सन 2009 में फिल्म परुगु के लिए सर्वश्रेष्ठ तेलुगू फिल्म अभिनेता का फिल्मफेयर अवार्ड ।
  4. सन 2010 में फिल्म वेदं के लिएसर्वश्रेष्ठ तेलुगू फिल्म अभिनेता का फिल्मफेयर
  5. सन 2014 में फिल्म रेसगरम के लिए सर्वश्रेष्ठ तेलुगू फिल्म अभिनेता का फिल्मफेयर

इनकी बहुत सारी फिल्में सुपर डुपर रहीं हैं जो बॉक्स ऑफिस पर बहुत ही बेहतरीन परफार्मेंस दीं हैं । Allu Arjun biography | अल्लू अर्जुन की जीवनी ।

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Allu Arjun biography | अल्लू अर्जुन की जीवनी आप को बहुत पसंद आई होगी । कृपया कमेंट करके बताएं ।

प्रश्न .अल्लू अर्जुन की कुल संपत्ति कितनी है ?

उत्तर..अल्लू अर्जुन की कुल संपत्ति 350 करोड़ रुपए है ।

अल्लू अर्जुन की पत्नी का क्या नाम है ?

अल्लू अर्जुन की पत्नी का नाम स्नेहा रेड्डी है ।

प्रश्न . अल्लू अर्जुन के कितने बच्चे हैं ?

उत्तर . अल्लू अर्जुन के दो बच्चे हैं ।

Mahima Chaudhary | महिमा चौधरी का जीवन परिचय

Mahima Chaudhary biography in hindi , महिमा चौधरी का जीवन परिचय , Mahima Chaudhary, महिमा चौधरी एक भारतीय एक्ट्रेस हैं । इन्होंने बहुत सारी हिंदी फिल्में किया है । बहुत सारी फिल्में हिट भी रहीं हैं ।

Mahima Chaudhary
Mahima Chaudhary

महिमा चौधरी का जीवन परिचय

13 सितम्बर 1973 को महिमा चौधरी का जन्म दार्जलिंग पश्चिमी बंगाल में हुआ था । इनका बचपन का नाम ऋतु चौधरी था । इनकी मां एक नेपाली थीं जबकि पिता उत्तर प्रदेश के रहने वाले थे ।

महिमा ने अपनी शादी 2006 में बॉबी मुखर्जी से की थी , लेकिन उनकी शादी के 10 साल बाद ही 2016 में यह रिश्ता टूट गया । इनसे एक बेटी पैदा हुई थी जिसका नाम आर्याना चौधरी है ।

Mahima Chaudhary के जीवन से जुड़ी कुछ खास जानकारी

वास्तविक नामऋतु चौधरी
जन्म तिथि13 सितम्बर 1973
ऊंचाई5 फुट 4 इंच
वजन65kg
आंख का रंगभूरा
बाल का रंगभूरा
जन्म स्थानदार्जिलिंग पश्चिमी बंगाल
प्राथमिक विद्यालयडाउ हिल इन कुरसिओंग
कॉलेजलोरेटो कॉलेज दार्जिलिंग
शैक्षिक योग्यताबैचलर डिग्री
हॉबीतैराकी , खाना बनाना , पढ़ना
पसंदीदा अभिनेत्रीजूही चावला
पसंदीदा अभिनेताशाहरुख खान
पसंदीदा कलर काला
पसंदीदा भोजन मछली करी
वैवाहिक स्थितिविवाहित
पति का नामबॉबी मुखर्जी
बेटी का नामअरियाना चौधरी

महिमा चौधरी की शिक्षा

हाई स्कूल तक की पढ़ाई महिमा चौधरी ने डाउन हिल स्कूल से किया था । लोरेटो कॉलेज दार्जिलिंग से बाकी आगे की पढ़ाई पूरी की । इनका मन पढ़ाई में नहीं लगा इसलिए इन्होंने 1990 में पढाई छोड़कर मॉडलिंग में अपना कैरियर शुरू किया । साथ ही बहुत से विज्ञापनों में भी काम किया ।

Mahima Chaudhary ka Careers

महिमा ने अपनी पहली फिल्म की शुरुआत 1997 में परदेश से किया था । इसका श्रेय सुभाष घई को जाता है जिन्होंने महिमा चौधरी को हिंदी फिल्म के लिए ऑफर किया था । इस फिल्म के लिए इनको फिल्म फेयर अवार्ड भी मिला था ।

इसके बाद दाग दी फायर फिल्म में नजर आई । इस फिल्म में डबल रोल में एक्टिंग की थी । ये फिल्म बॉक्स ऑफिस पर हिट रही । इसके लिए बहुत प्रशंसा हुई । इसके बाद लज्जा फिल्म में बहुत दमदार अभिनय किया । जो दहेज प्रथा के खिलाफ थी ।

महिमा चौधरी ने एक के बाद एक हिट फिल्में किया था । जो बहुत ही कामयाब रही हैं ।

महिमा चौधरी द्वारा की गई प्रमुख फिल्में

S N फिल्म का नामवर्ष
1परदेस1997
2धड़कन2000
3दिल है तुम्हारा2002
4ओम जय जगदीश हरे2002
5तेरे नाम2003
6बागबान2003
7एल ओ सी 2003
8साया2003
9दोबारा2004
10जमीर द फायर विदीन2005
11कुछ मीठा हो जाए2005
12सेहर2005
13फिल्म अभिनेता2005
14होम डिलीवरी2005
15सौतन दूसरी औरत2006
16सैंडविच2006
17कूडियो का है जमाना2006
18सरहद पार2006
19गुमनाम2008
20गैंगस्टर2015
21डार्क चॉकलेट2016
Mahima Chaudhary

पुरस्कार एवम अवार्ड

महिमा चौधरी ने कई पुरस्कार और अवार्ड जीते हैं जो निम्न लिखित हैं :

  1. Zee Cine awards for best Female debut – pardes 1998
  2. Zee Cine award Lux face of the year -pardes 1998
  3. Filmfare Lux new face award – Pardes
  4. Bollywood Movie Award for best supporting actress -Dhadakan -2001

महिमा चौधरी को ब्रेस्ट कैंसर

महिमा चौधरी को ब्रेस्ट कैंसर भी हो गया था जो बहुत दिनों तक छुपाए रखा । अनुपम खेर ने जब फोन किया तो वह अपने आप को रोक नहीं पाईं । बहुत ही भाउक हो गई और अपने आपको कैंसर होने की बात को साझा किया । इससे पहले इनके माता पिता को भी पता नहीं था । कीमो थिरेपी की वजह से इनके पूरे बाल झड़ चुके हैं ।

महिमा चौधरी अपना इलाज अमेरिका में करवाकर लौट चुकी हैं और अब पूरी तरह से स्वस्थ भी हो चुकी हैं ।

महिमा चौधरी एक बहुत ही बेहतरीन अदाकारा हैं । जिन्होंने बहुत सारी हिट फिल्में दी हैं । और भी लोगों के जीवन के बारे जानकारी चाहिए तो पढें Rashmika Mandanna Biography , Neha kakkar biography | नेहा कक्कड़ की जीवनी and Motivenews.net

Thamarai Selvi |थमराई सेल्वी का जीवन परिचय

Thamarai Selvi

Thamarai Selvi एक तमिल भारतीय एक्ट्रेस हैं । इनका जन्म 17 मई 1989 को पुदुकोट्टई तमिलनाडु में हुआ था । इस पोस्ट में थमराई सेल्वी का जन्म स्थान ,माता पिता , भाई , बहन ,पति और ब्वॉयफ्रेंड आदि की पूरी जानकारी दी गई है । पहले बहुत कम लोग इन्हें जानते थे लेकिन बिग बॉस में आने के बाद काफी लोग इन्हें जानने लगे हैं ।

Thamarai Selvi
Thamarai Selvi

Thamarai Selvi का जीवन परिचय हिन्दी में

1पूरा नामथमराई सेल्वी
2जन्म तिथि15 मई 1989
3पिता का नामअभी पता नहीं
4 माता का नामअभी पता नहीं
5पति का नामसारथी
6जन्म स्थानपुदुकोट्टई तमिलनाडु
7बच्चों का नामशिवरामन
मेशा वर्धन
8वजन75 kg
9लंबाई5 फुट 3 इंच
10बालों का रंगकाला
11आंखो का रंगकाला
12वैवाहिक स्थिति विवाहित
13धर्म हिन्दू
14राष्ट्रियता भारतीय
15भाई का नाम अभी पता नहीं
16बहन का नाम अभी पता नहीं
17बॉयफ्रेंड का नाम अभी पता नहीं
18प्रसिद्धि का कारण बिग बॉस 5
19पेशा ड्रामा एक्ट्रेस , एक्ट्रेस
20बर्तमान निवास चेन्नई , तमिल नाडु , भारत
थमराई सेल्वी का जीवन परिचय

थमराई सेल्वी का कैरियर

थमराई को बचपन से ही एक्टिंग का शौक था । वे बहुत से नाटकों मे काम कर चुकी हैं । बहुत से गांवों और त्यौहारों में भी नाटक पार्टी जाया करती थीं । शुरुआत में इन्हें बहुत कम लोग ही जानते थे लेकिन जब इन्हे बिग बॉस सीजन 5 में जबसे इन्हे चुना गया तबसे इनकी अच्छी ख़ासी पहचान बन गयी गई है । अब अपने अच्छे प्रदर्शन के कारण काफी लोग पसंद करने लगे हैं ।

कमल हसन द्वारा होस्ट बिग बॉस अल्टिमेट में इस समय एक प्रतियोगी के रूप में दिखाई दे रहीं है । जो विजय टीवी पर प्रसारित किया जा रहा है ।

थमराई सेल्वी के कुछ रोचक तथ्य

  • थमराई की पहचान बिग बॉस सीजन 5 से हुई थी ।
  • ये पाँच भाषाओं मे कम कर चुकी हैं , जिनमे से मुख्य भाषा तमिल है ।
  • ये अपने बारे मेन ज्यादा जानकारी साझा नहीं करती हैं ।
  • थमराई सेल्वी एक नादगा क्लैग्नर हैं , कोविल थिरुविलास और बिभिन्न आयोजनों मे वल्ली थिरुमानम नगदम करती हैं ।
  • ये अक्सर करके शो मेन कामेडी रोल करती हैं ।

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Quest. थमराई सेल्वी कौन हैं ?

Ans. थमराई सेल्वी एक मशहूर ड्रामा आर्टिस्ट हैं । इनके पति का नाम सारथी है । ये पुदुकोट्टई तमिलनाडु की रहने वाली हैं । ये बिग बॉस सीजन 5 में काम करने के बाद से मशहूर हो गयी हैं ।

Quest. थमराई के पति का नाम क्या है ?

Ans. थमराई के पति का नाम सारथी है ।

Quest.निरूप नन्दकुमार कौन हैं ?

Ans. निरूप नंदकुमार एक भारतीय मॉडल हैं । ये एक अच्छे ब्यावसाइक और तमिलनाडु मेन एक अभिनेता हैं । ये बिग बॉस रियल्टी शो बिग बॉस सीजन 5 2021 से मशहूर हुए हैं ।