Baba Saheb Dr Bhim Rao Ambedkar | बाबा साहेब डा. भीम राव अम्बेडकर

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डा अम्बेडकर जी का जन्म 14 अप्रैल ,1891 को महू छावनी में महार जाति के एक गरीब परिवार में हुआ था । इनके पिता सेना में नायक थे । जिस समय बाबा साहेब का जन्म हुआ था । उस समय ऊंच नीच और छुआ छूत का भेद भाव बहुत था । इनको पढ़ने नहीं दिया जाता था । क्लास के बाहर ही बैठाया जाता था । घड़े से पानी तक पीने नहीं दिया जाता था  । सब अछूत मानकर बहुत परेशान करते थे । इनका पूरा जीवन संघर्ष से भरा हुआ था ।

Baba Saheb Dr Bhim Rao Ambedkar
Baba Saheb Dr Bhim Rao Ambedkar

इन सब कठिनाइयों के बावजूद डॉक्टर अंबेडकर ने अपना हौसला नहीं छोड़ा । अपनी पढ़ाई जारी रखा । इन्होंने न केवल अपनी पढ़ाई जारी रखा बल्कि सामाजिक कू प्रथाओं के खिलाफ लड़ाई भी लड़ी ।जीतने भी संस्थागत शिक्षण संस्थान था हर सामाजिक कू प्रथाओं के खिलाफ आवाज उठाने के साथ साथ सन 1917 में कोलंबिया यूनिवर्सिटी से अर्थशास्त्र में डॉक्टरेट की उपाधि हासिल किया ।

Baba Saheb Dr Bhim Rao Ambedkar का सामाजिक संघर्ष

डॉक्टर अंबेडकर को जितनी मानसिक , शारीरिक और आर्थिक रूप से तनाव दिया गया , शायद ही कोई इसे सहन कर पाता । लेकिन इस समाज में दबे कुचले लोगों के उत्थान के लिए सब कुछ बर्दास्त करते हुए अपना सब कुछ कुर्बान कर दिया । देश की कट्टर पंथी सोच और ब्राह्मणवादी व्यवस्था का जमकर विरोध किया । उच्च जातियों से इन्हे स्पष्ट शत्रुता का सामना करना पड़ा था । 

बहुत सारी समस्याओं के बावजूद बाबा साहेब ने विदेशों में जाकर पीएचडी जैसी कई डिग्रियां हासिल किया । आज कल तो लोग सारी सुविधाएं होने के बावजूद लोग केवल बीए , बीएससी , बीटेक तक ही सीमित रह जाते हैं । लेकिन बाबा साहेब ने विदेशों में जाकर कैसे पढ़ाई की होगी ये सोचकर ही ताज्जुब लगता है ।

Baba Saheb Dr Bhim Rao Ambedkar
Baba Saheb Dr Bhim Rao Ambedkar

डॉक्टर अंबेडकर चाहते थे कि सब लोग बराबर हो जाएं । क्योंकि निम्न तबके के लोगों को तालाब से या किसी कुएं तक से पानी पीने का अधिकार नहीं था ।इनका छुआ हुआ पानी कोई नही पिता था । ऐसी स्थिति में इन्होनें ना केवल पढ़ाई जारी रखा बल्कि सामाजिक आंदोलन भी कई जगह किए । इसी लिए निम्न वर्ग के लोग इनको अपना मसीहा और भगवान मानते हैं ।

Dr B R Ambedkar ka jiwan parichay

इनके जीवन के बारे मे निम्नलिखत तथ्य हैं ।

1. पूरा नाम भीम राव राम जी अंबेडकर
2. पिता का नाम श्री रामजी वल्द मालोजी सकपाल
3. माता का नाम भीमा बाई
4 जन्म तिथि 14/04/1891
5 जन्म स्थान महू छावनी , मध्य प्रदेश ,भारत
6 शिक्षा मुंबई यूनिवर्सिटी से बी. ए.

कोलंबिया विश्वविद्यालय से एम. ए. , पी. एच. डी. और एल. एल. डी.

लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से एम. एस. सी., डी. एस. सी.
बैरिस्टर एट ला
7 पत्नी 1.रमा बाई अंबेडकर (विवाह 1906)
निधन – 1935
2. डा.सबिता अंबेडकर (विवाह 1948)
निधन–2003
8 सामाजिक संगठन 1 बहिष्कृत हितकारिणी सभा
2. समता सैनिक दल
3. डिप्रेस्ड क्लासेस एजुकेशन सोसाइटी
4. पीपुल एजुकेशन सोसाइटी
5. द बॉम्बे सेड्यूल्ड कास्ट्स इंप्रूवमेंट ट्रस्ट
6. भारतीय बौद्ध महासभा
9 प्राप्त अवार्ड / सम्मान बोधिसत्व 1956
भारत रत्न 1990
कोलंबियन अहेड ऑफ द ईयर टाइम 2004
द ग्रेटेस्ट इन्डियन 2012
10. विशेष कार्य अर्थशास्त्री , मनोविज्ञानी, राजनीतिज्ञ , विधिवेत्ता , समाजशास्त्री , शिक्षा विद , प्रोफेशर , लेखक ,पत्रकार, धर्म शास्त्री , इतिहासविद , शिक्षाविद दार्शनिक
11. धर्म बौद्ध धर्म
12. बच्चे यशवन्त अंबेडकर
13. राष्ट्रीयता भारतीय
14. व्यवसाय प्रोफेसर , राजनीतिज्ञ ,वकालत
15. जाति महार

बाबा साहेब डा. अंबेडकर का विशेष योगदान

बाबा साहेब ने देश की जनता और देश को समर्थ बनाने हेतु बहुत से अभूतपूर्व सराहनीय कार्य किया है ।

1.रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की स्थापना बाबा साहेब की लिखी गई पुस्तक “the broblem of the rupie” के आधार पर हुई थी । ये डा. अम्बेडकर की देन है ।

2.परियोजनाओं का निर्माण

हमारे देश की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी । बाबा साहेब एक दूरदर्शी थे । वे जानते थे कि अगर हमारे देश में कुछ ठोस कदम नहीं उठाए गए तो हमारा देश और गरीब हो जाएगा । इसलिए नदियों पर बांध बनाकर खेती के लिए पानी और बिजली की आपूर्ति हेतु महत्व पूर्ण योगदान दिया है । उन्होंने हीरा कुंड बांध, दामोदर घाटी , सोन नदी घाटी परियोजना इन्ही की देन है ।

3.आरक्षण का अधिकार 

दलितों ,पिछड़ों और आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को आरक्षण का अधिकार बाबा साहेब की ही देन है । Dr Ambedkar ने समानता का अधिकार भी  दिलाया है

 

4. महिलाओं को पढ़ने का अधिकार 

सबसे पहले महिलाओं को पढ़ने का अधिकार नहीं था । डा. भीमराव अम्बेडकर ने ही महिलाओं को समानता , पढ़ने और नौकरी में आरक्षण का अधिकार दिलाया है ।

Baba Saheb Dr Bhim Rao Ambedkar ने बहुत से ऐसे ऐसे सामाजिक कार्य किया है । जो कोई भी नही कर सकता है । 

http://Biographyrp.com , ऑयल पेंटिग

 

 

डॉ. भीमराव अम्बेडकर का जीवन परिचय विस्तार से

बीसवीं शताब्दी के एक श्रेष्ठ चिंतक, दूरदर्शी, यशस्वी वक्ता, ओजस्वी लेखक तथा भारतीय संविधान के प्रमुख निर्माता बाबा साहेब डॉ. भीमराव अम्बेडकर का जन्म 14 अप्रैल, 1891 को महू के एक महार परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम रामजी मालाजी अम्बेडकर तथा माता का नाम भीमाबाई था। भीमराव अपने माता-पिता की चौदहवीं संतान थे। जब वे दो वर्ष के थे तब उनके पिता थल सेना से सेवानिवृत्त हो गए तथा सपरिवार मुम्बई के सतारा जिले में आ गए। अम्बेडकर का विवाह 14 वर्ष की आयु में रमाबाई के साथ हुआ था ।

छूआछूत के दंश और उसकी गहन पीड़ा को अम्बेडकर ने बचपन से ही अनुभव किया था। स्कूल में अम्बेडकर को जात-पात के कारण अत्यंत अपमानित होना पड़ा। एक बार उन्हें ब्लैकबोर्ड तक जाने से सिर्फ इसलिए रोक दिया गया क्योंकि तथाकथित ऊंची जातियों के सहपाठियों के खाने के डिब्बे वहां पास ही में रखे थे, जब उन डिब्बों को वहां से हटा लिया गया अम्बेडकर तभी ब्लैकबोर्ड तक जा सके थे। कॉलेज पहुंचने पर उन्हें वहां के टी-स्टॉल में चाय पीने की अनुमति नहीं थी क्योंकि टी-स्टॉल का मालिक सवर्ण था।

अपनी जाति के कारण ही अम्बेडकर को संस्कृत का अध्ययन करने की अनुमति नहीं थी। बड़ौदा के शिक्षा प्रेमी महाराज सयाजीराव गायकवाड के छात्रवृत्ति देने पर 1913 में उन्होंने अमेरीका के कोलंबिया यूनिवर्सिटी में राजनीति शास्त्र के छात्र के रूप में एडमिशन लिया। 1916 में भारत में जाति-भेद नामक प्रबंध लिखकर प्रो. गोल्डेन के सामने पढ़ा और उसी वर्ष भारत की अर्थव्यवस्था पर एक प्रबंध लिखा जिस पर कोलंबिया विश्वविद्यालय ने उन्हें पी.एच.डी. की डिग्री प्रदान की।

विदेश से पढ़ाई पूरी करके आने पर भी अम्बेडकर के माथे से अछूतो का कलंक नहीं मिटा यही कारण था कि बड़ौदा के किसी भी होटल में उन्हें जगह नहीं मिली। उन्होंने बड़ौदा के महाराज के यहां नौकरी कर ली किंतु यह के चपरासी भी उनसे दूर रहते थे और अपने विस्तर व कपड़े इस प्रकार समेट कर रखते थे कि कहीं अम्बेडकर के स्पर्श से वे दूषित न हो जाएं। अम्बेडकर के मकान मालिक ने उनकी जाति का पता चलते ही उन्हें अपने घर में निकाल दिया। एक कॉलेज में प्राध्यापक नियुक्त होने पर उनक को यह बिल्कुल भी स्वीकार्य नहीं था कि वे एक ही घड़े से पानी पिएं। बाद में अम्बेडकर ने स्वतन्त्र रूप से अपना कार्य आरम्भ कर दिया।

यद्यपि, समाज में अब भी उन्हें अछूत ही माना जाता था, तथापि, उनकी यता पर किसी को भी किसी प्रकार का संदेह नहीं था। बबई में अ ने दि स्मॉल होल्डिंग्स इन इण्डिया एंड देअर रेमिडीज नाम की एक पुस्तक प्रकाशित की। उन्होंने अपने जीवन का एकमात्र ध्येय हिंदू समाज के अन्द तथा अत्याचार का प्रतिकार करके अस्पृश्योद्धार करना निश्चित किया। नवंबर 1918 में डॉ. अम्बेडकर बंबई सिडेनहम कॉलेज ऑफ कॉमर्स एंड इकॉनामिक्स में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर नियुक्त हुए।

जून 1921 में लन्दन विश्वविद्यालय में इनके द्वारा लिखित प्रबंध प्राविशियल डिसेंट्रलाइजेशन ऑफ इंपीरियल फायनांस इन ब्रिटिश इण्डिया पर एम.एस.सी. की उपाधि प्रदान की। जून 1922 में उन्होंने एक अन्य शोधपत्र प्रॉब्लम ऑफ रुपी लन्दन विश्वविद्यालय में जमा कराया। इसके पश्चात् वे जर्मनी के बोन विश्वविद्यालय में पढ़ाई के लिए गए और वहां से उन्होंने डी.एससी. की उपाधि प्राप्त की। उनका शोधपत्र दिसम्बर 1923 में प्रकाशित हुआ। अम्बेडकर अप्रैल 1923 में बैरिस्टर बने व उसी वर्ष से उन्होंने बंबई उच्च न्यायालय में वकालत करनी प्रारंभ की थी।

सामाजिक एकता , दलितोद्धार और सामाजिक न्याय 

निःसंदेह अम्बेडकर अपनी योग्यता, अथक परिश्रम एवं कठोर संघर्ष के बल पर शनैः शनैः विकास की ओर अग्रसर हुए थे, किन्तु वे इस कटु सत्य से भी परिचित थे कि समाज में उन्हें तब तक न तो उचित स्थान मिल सकता है और न ही उनकी योग्यता का कोई मूल्य ही आंका जाएगा, जब तक कि वे अछूत रूप मे जाने जाएंगे। उन्होंने देश के सामाजिक, सांस्कृतिक एवं धार्मिक इतिहास का गहराई से अध्ययन किया तथा इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि हिंदू धर्म के चतुर्वर्ण से उत्पन्न अस्पृश्यता ही दलित वर्ग के पिछड़ेपन का कारण है।

इस अस्पृश्यता को मिटाए बिना सामाजिक समानता लाना सर्वथा असम्भव है। उन्होंने दलित वर्ग के लोगों में जागृति लाने का प्रयास किया और उन्हें अपने बच्चों को विद्यालय भेजने के लिए प्रेरित किया। उनका विचार था कि राजनीतिक एवं सामाजिक परिवर्तन लाने हेतु दलित वर्ग में शिक्षा का प्रसार किया जाना नितांत अनिवार्य है। अपने अछूतोद्धार आंदोलन का श्रीगणेश इन्होंने 20 जुलाई, 1924 को बंबई में ‘बहिष्कृत हितकारणी समा की स्थापना से किया।

अछूत वर्ग में शिक्षा का प्रसार करने के लिए छात्रावास की स्थापना करना, सांस्कृतिक विकास, वाचनालय तथा अभ्यास केंद्र चलाना, तथा कृषि स्कूल खोलना, अस्पृश्यता निवारण आंदोलन को आगे बढ़ाना आदि उनके अछूतोद्धार आंदोलन के प्रमुख कार्यक्रम थे।

डॉ. अम्बेडकर न केवल अस्पृश्यता को अपितु जातिवाद और वर्णभेद को भी सदा के लिए मिटा देना चाहते थे। इस संदर्भ में उन्होंने 1927 में पहाड़ में एक सार्वजनिक सभा का आयोजन किया तथा तदुपरांत चारदार के तालाब से, जहां अछूतों को पानी पीने की अनुमति नहीं थी, सामूहिक रूप से पानी पिया। तत्पश्चात् 2 मार्च, 1930 को गुजरात के कालाराम मन्दिर में अछूतों के प्रवेश पर लगी रोक के विरुद्ध सत्याग्रह आरम्भ किया।

8 अगस्त, 1930 को नागपुर में एक अखिल भारतीय दलित कांग्रेस का आयोजन किया गया, जिसकी अध्यक्षता अम्बेडकर ने की थी। उन्होंने दलित वर्ग के लोगों को लोक सेवाओं में जाने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने साइमन आयोग से यह शिकायत की कि उसने दलित वर्ग की आवश्यकताओं एवं उनके अधिकारों का क्रमबद्ध रूप से निम्न मूल्यांकन किया। दिसम्बर 1930 में उन्होंने गोल मेज सम्मेलन में भाग लिया, जिससे विश्वभर में उनकी छवि भारत के अस्पृश्य के नेता के रूप में उभर कर आई।

उन्होंने दलित वर्ग के प्रति अंग्रेजों के उपेक्षित व्यवहार को लक्षित किया। उन्होंने अन्य भारतीय नागरिकों की भाँति दलित वर्ग के लिए समान नागरिक अधिकारों तथा अस्पृश्यता एवं किसी भी रूप में कानूनी असमानता के निवारण की मांग की। उन्होंने दलित वर्ग के राजनीतिक संरक्षण की योजना का स्मरण-पत्र तैयार करके अल्प मत उप-समिति के समक्ष प्रस्तुत किया।

इसमें पृथक निर्वाचन तथा सुरक्षित सीटो की मांग की गई थी, जो आगे चलकर महात्मा गांधी एवं डॉ. अम्बेडकर के मध्य संघर्ष का कारण बनी। बाद में उन्होंने इस संबंध में गांधी जी के साथ 24 सितम्बर, 1932 को पूना में एक समझौता (पूना पैक्ट) किया, जिसके अनुसार वे पृथक् निर्वाचन संघ के स्थान पर पृथक् प्रतिनिधित्व पर सहमत हुए।

15 अगस्त, 1947 को भारत स्वतन्त्र हुआ। जवाहरलाल नेहरू की अध्यक्षता में बनी अंतरिम सरकार में वे विधि मंत्री बनाए गए। 29 अगस्त, 1947 को संविधान सभा में अम्बेडकर की अध्यक्षता में एक प्रारूप समिति का गठन किया गया। उन्होंने 4 नवम्बर, 1948 को संविधान का प्रारूप संविधान सभा को सौंप दिया।

26 नवम्बर, 1949 को संविधान सभा द्वारा संविधान को स्वीकृति प्रदान कर दी गई। इसके कुछ प्रावधान (नागरिकता, निर्वाचन एवं अंतरिम संसद से संबंधित उपबंध एवं अस्थायी तथा संक्रमणकारी उपबंध) तत्काल प्रभाव से तथा शेष संविधान 26 जनवरी, 1950 से संपूर्ण देश में लागू कर दिया गया।

अम्बेडकर ने 1949 में काठमाण्डू में ‘विश्व बौद्ध सम्मेलन’ को ‘मार्क्सवाद एवं बौद्ध धर्म’ विषय पर संबोधित किया। जुलाई 1951 में उन्होंने भारतीय बौद्ध जनसंघ की तथा 1955 में भारतीय बौद्ध सभा की स्थापना की। 15 अप्रैल, 1948 को इन्होंने डॉ. शारदा कबीर, जो कि जाति से ब्राह्मण थीं, से पुनर्विवाह किया (उनकी प्रथम पत्नी का 27 मई, 1935 को स्वर्गवास हो चुका था)।

हिंदू धर्म में व्याप्त छुआछूत एवं अन्य कुरीतियों से खिन्न होकर डॉ. अम्बेडकर ने 14 अक्टूबर, 1956 को नागपुर में अपने लगभग 2 लाख दलित अनुयायियों के साथ सामूहिक रूप से हिंदू धर्म का त्याग कर बौद्ध धर्म की दीक्षा ली। 6 दिसम्बर, 1956 को इस महान समाजसेवी, दलितों के उद्धारक एवं गरीब किसानों के हित चिंतक का निधन हो गया

 

Katrina Kaif biography | कैटरीना कैफ की जीवनी

Katrina Kaif biography । कैटरीना कैफ की जीवनी । कैटरीना कैफ का जन्म 16 जुलाई 1983 को हांग कांग लंदन में हुआ था । इनकी माता का नाम सुजेन टुर्कोट तथा पिता का नाम मुहम्मद कैफ है ।इनका पालन पोषण और पढ़ाई  लिखाई इनकी माँ के ही जिम्मे था । क्योकि इनके बचपन में ही माता पिता का तलाक हो गया था ।

Katrina Kaif biography
Katrina Kaif biography

 कैटरीना कैफ की मां कई देशों में रह चुकी हैं । इसलिए इनकी पढ़ाई पत्राचार द्वारा ही ज्यादा हुई है । इन लोगों को पढ़ाई और पालन पोषण की जिम्मेदारी इनके मां की ही जिम्मेदारी  थी । ये बहुत सी हिट फिल्मों मे काम कर चुकी हैं । 

कैटरीना कैफ का जीवन परिचय ( biography of Katrina Kaif in hindi )

कैटरीना कैफ बॉलीवुड में एक बेहतरीन अदाकारी के लिए मशहूर हैं । ये कई भाषाओं में फिल्में कर चुकी हैं । जैसे हिंदी , तेलुगु , मलयालम और इंग्लिश आदि भाषाओं में अभिनय कर चुकी हैं ।

Katrina Kaif biography

1पूरा नामकैटरीना कैफ
2जन्म तिथि16 /07/1983
3हाईट5 फिट 8 इंच
4वजन56 किलो ग्राम
5जन्म स्थानहांग कांग
6राष्ट्रियताब्रिटिश
7धर्मइस्लाम
8पहली फिल्मबूम 2003
9वैवाहिक स्थितिविवाहित
10पति का नामविक्की कौशल
11पसंदीदा अभिनेताऋतिक रोशन , सलमान खान
12पसंदीदा स्थानलंदन ,स्पेन ,दुबई और इटली
कैटरीना कैफ

कैटरीना कैफ का फिल्मी सफर

कैटरीना कैफ ने अपने कैरियर की शुरुवात बचपन मे ही कर दी थी । अपनी पहली शुरुआत एक माडल के रूप में किया था । कैटरीना एक पेशेवर माडलिंग के रूप मे लंदन से ही शुरू किया । 2003 में अपनी पहली फिल्म बूम से की थी जिसमे बहुत ही दिग्गज एक्टर अमिताभ बच्चन , गुलशन ग्रोवर ,जैकी श्राफ , पद्म लक्ष्मी और मधु स्प्रे थे । इस फिल्म का खूब प्रचार किया गया । लेकिन सफल नहीं हुई । फिर 2004 में तेलुगू फिल्म मल्लीश्वरी में बतौर हीरोइन किरदार निभाया । जो बहुत सफल तो नहीं हुई लेकिन कमाई कर गई ।

कैटरीना कैफ की फिल्मों की लिस्ट

फिल्मवर्ष
बूम2003
मैने प्यार क्यों किया2005
हमको दीवाना कर गए2006
नमस्ते लंदन2007
पार्टनर2007
अपने2007
वेलकम2008
रेस2008
सिंह इज किंग2008
हेलो2008
युवराज2008
न्यूयार्क2009
दे दना दन2009
अजब प्रेम की गजब कहानी2009
राजनीति2010
तीस मार खां2010
जिंदगी ना मिलेगी दोबारा2011
बाडी गार्ड2011
मेरे ब्रदर की दुल्हन2011
अग्निपथ2012
एक था टाइगर2012
जब तक है जान2012
मैं कृष्णा हूं 
बॉम्बे टॉकीज2013
धूम2013
बैंग बैंग2014
फैंटम2015
बार बार देखो2016
फितूर2016
टाइगर जिंदा है2017
जग्गा जासूस2017
जीरो2018
ठग्स ऑफ हिंदुस्तान2018
ज्वेल ऑफ इंडिया2019
भारत2019
सूर्य बंशी2021
मेरी क्रिसमस2022
टाइगर 32022
जी ले जरा2022
सत्ते पे सत्ता2022
फोन भूत2022

कैटरीना कैफ की शादी

इनकी शादी की चर्चा कई लोगों के साथ थी लेकिन किसी से नहीं किया । बाद में कैटरीना कैफ की शादी 9 दिसंबर 2021 को विक्की कौशल के साथ फोर्ट बरवाड़ा में हुई थी । शादी बहुत ही बेहतरीन तरीके से हुई थी ।

कैटरीन कैफ के पारिवार के सदस्य

कैटरीना कैफ के माता पिता के अलावा तीन बड़ी बहन स्टेफनी , क्रिस्टीन और नातासा तथा तीन छोटी बहनें मेलिसा , सोनिया , इसाबेल हैं । एक छोटा भाई माइकल कैफ भी है ।

Katrina Kaif biography | कैटरीना कैफ की जीवनी

Katrina Kaif biography | कैटरीना कैफ की जीवनी के बारे में बहुत सी जानकारियां हैं । अगर कुछ जानना चाहते हैं तो कमेंट करके पूछ सकते हैं । आप को यह लेख कैसा लगा कृपया कमेंट करके बताएं ।

Rashmika Mandanna | रश्मिका मंदाना

Mahilaye ghar baithe paise kaise kamaye 

Que.कैटरीना कैफ के पति का नाम क्या है ?

Ans. कैटरीना कैफ के पति का नाम विक्की कौशल है ।

Rashmika Mandanna | रश्मिका मंदाना

Rashmika Mandanna | रश्मिका मंदाना

Rashmika Mandanna . रश्मिका मंदाना एक बहुत ही मशहूर साउथ इंडियन एक्ट्रेस हैं । इनका जन्म कर्नाटक के बिराजपेट ,कोडागु  में 5 अप्रैल 1996 में हुआ था । ये इस समय पूरे विश्व में अपनी एक्टिंग की वजह से मशहूर हो चुकी हैं । आज हम रश्मिका मंदाना के पूरे जीवन के बारे मे बताएँगे । की ये कौन हैं , कैसे मशहूर हुई , कहाँ तक शिक्षा ग्रहण की हैं , इनका अफेयर और इनके जीवन से जुड़े सभी तथ्यों के बारे में जानकारी । 

Rashmika Mandanna | रश्मिका मंदाना
Rashmika Mandanna | रश्मिका मंदाना

Rashmika Mandanna  कौन हैं 

रश्मिका का जन्म कर्नाटक एक मध्यम वर्ग के परिवार में पैदा हुई थी । इनके माता का नाम सुमन मंदाना तथा पिता का नाम मदन मंदाना है । रमन मंदाना कर्नाटक के सरकारी ऑफिस में कार्य करते थे । इन्होने अपनी प्राथमिक शिक्षा कूर्ग पब्लिक स्कूल में ग्रहण की थी । जो कि कर्नाटक मे ही स्थित है । 

रश्मिका ने उच्च शिक्षा एम एस रमाइया कालेज से मास्टर ऑफ साइक्लोजी से एम ए किया था । ये पढ़ाई के समय में  ही मडलिंग करती थी क्यो कि इनको बचपन से ही माडलिंग और एक्टिंग का शौक था । पढ़ाई के समय में ही कई बिज्ञापनों मे कार्य कर चुकी थी । 

रश्मिका के जीवन से संबन्धित तथ्य 

1 नाम Rashmika Mandanna | रश्मिका मंदाना
2 पिता का नाम मदन मंदाना
3 माता का नाम सुमन मंदाना
4 जन्म तिथि 05/04/1996
5 जन्म स्थान विराजपेट ,कोडागु , कर्नाटक
6 धर्म हिन्दू
7 राष्ट्रियता भारतीय
8 प्राथमिक स्कूल कूर्ग पब्लिक स्कूल
9 उच्च शिक्षा रमैया कालेज ऑफ आर्ट्स एण्ड साइंस
10 वैवाहिक स्थिति अविवाहित
11 योग्यता पत्रकारिता , अंग्रेजी और मनोबिज्ञान में स्नातक
12 कमाई 1 करोड़ पर फिल्म
13 पेशा एक्टिंग , माडलिंग और बिज्ञापन
14 हाइट 5 फिट 3 इंच
15 वजन 54 किलो ग्राम
16 फिगर 33/25/34
Rashmika Mandanna | रश्मिका मंदाना

रश्मिका मंदाना का फिल्मी सफर

  • रश्मिका ने अपने कैरियर कि शुरुवात माडलिंग से 2012 में किया था । इन्होने 2012 में ही क्लीन एण्ड क्लियर का खिताब जीत लिया और इसी के चलते ब्रांड अम्बेसडर बना दिया गया था ।
  • 2013 में रश्मिका को टॉप मॉडल हंट में टी वी सी का खिताब प्राप्त किया ।
  • 2016 में किरिक पार्टी फिल्म से काफी मशहूर हो गयीं थी । जो उस साल कि सबसे सफल फिल्म थी जो 150 दिन तक सिनेमा घरों मे चली थी ।
  • 2017 में अंजनी पुत्र औए चमक ये दो  फिल्में की थी ।
  • 2018 में चालो , गीता गोबिंदम , देवदास जैसी हिट फिल्में दी हैं ।
  • 2019 में डियर कामरेड ,पोगरु ,भीष्म ,यजमान ,कार्थी फिल्मों को बतौर एक्ट्रेस एक महत्व पूर्ण भूमिका निभाई हैं ।
  • 2020 सरिलरु निकेवरू किया गया है ।
  • 2021 में सुल्तान , पुष्पा इनके द्वारा संचालित काफी हिट फिल्म रही हैं ।

इन्हे हिंदी नहीं आती है लेकिन पूरे विश्व में इनकी अदाकारी को पसंद करते हैं । इनके फालोवर भी बहुत ज्यादा हो गए हैं ।

Rashmika Mandanna father (रश्मिका मन्दाना के पिता का नाम 

रश्मिका के पिता का नाम मदन मंदना है । जो एक सरकारी संस्थान में बाबू के पद पर कार्यरत थे । ये एक बहुत ही माध्यम वर्ग परिवार के थे ।

Rashmika Mandanna and Vijay Devarakonda

रश्मिका और विजय दोनो ने साथ साथ काम किया ।बहुत सी फिल्मों में काम भी किया लेकिन किसी भी तरह के रिश्ते से साफ साफ इंकार कर दिया । कितने बार मीडिया के सामने भी बोल चुके हैं । विजय देवरकोंडा और रश्मिका मंदना  एक साथ काम किए हैं लेकिन उन्होंने ट्वीट करके भी बताया की ऐसा कोई चक्कर नहीं है ।

rashmika mandanna and vijay devarakonda
    rashmika mandanna and vijay devarakonda

हालाकि कई बार सुनने में आया कि ये लोग  आपस में शादी करने वाले हैं लेकिन अभी तक ऐसा कोई भी तथ्य सामने नहीं आया है ।

Rashmika Mandanna  इस समय बहुत पापुलर हो गई है । बहुत से इनके फालोवर एक्टिंग पर फिदा हैं । पूरे फिल्म industries में बहुत सी मशहूर इंडियन एक्ट्रेस हैं ।

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