Ratan Tata Biography In Hindi । इनका पूरा नाम रतन नवल टाटा है । इनका जन्म 28 दिसम्बर 1937 को सूरत गुजरात में हुआ था । ये इस समय वर्तमान में भारत के सबसे बड़े ब्यापारिक समूह टाटा समूह के चेरिटेबल ट्रस्ट के अध्यक्ष हैं । ये नवल टाटा के बेटे हैं । रतन टाटा को नवजबाई टाटा ने अपने पति की मृत्यु के बाद गोंद लिया था , क्योकि नवजबाई टाटा अकेली पड़ गयीं थी । उस समय रतन टाटा 10 साल के थे । रतन टाटा के एक छोटे भाई भी थे । जिनका नाम जिमी टाटा था जो 7 साल के थे । 1940 ई . में इनके माता पिता एक दूसरे से अलग हो गए थे ।
नवजबाई टाटा ने दोनों भाइयो की परवरिश की थी । जो बहुत शख्त मिजाज की थी । लेकिन अंदर से बहुत नरम दिल थीं । इनके एक सौतेले भाई नोएल टाटा भी हैं ।
Ratan Tata Biography In Hindi (रतन टाटा का जीवन परिचय )
रतन टाटा क बारे में कुछ महत्व पूर्ण जानकारी निम्न लिखित है ।
1
Name (नाम )
रतन नवल टाटा
2
Father,s Name (पिता का नाम )
नवल टाटा
3
Mother,s Name (माता का नाम )
सूनू टाटा
4
Date of Birth (जन्म तिथि )
28/12/1937
5
Birth of Place ( जन्म स्थान )
सूरत गुजरात
6
Education (शिक्षा )
बी एस डिग्री संरचनात्मक इंजीनियरिंग एवं वास्तु कला में उन्नत प्रबंधन कार्यक्रम
7
Cast (जाति )
पारसी
8
Home Town (निवास )
मुंबई
9
Marital Status
अविवाहित
10
Nationality
भारतीय
11
profession (पेशा )
उद्योग
12
प्राथमिक स्कूल
कैंपियन स्कूल मुंबई
13
माध्यमिक विद्यालय
बिशप कॉटन स्कूल शिमला
14
उच्च शिक्षा
Riverdale Country school न्यूयार्क
15
पुरस्कार
पद्म बिभूषण (2008) ,OBE (2009)
रतन टाटा का ब्यावहारिक जीवन
रतन टाटा का स्वभाव बहुत ही सुंदर है । ये शांत प्रवृति के एवं शर्मीले ब्यक्ति हैं । इनका आचरण बहुत ही उत्तम है । रतन टाटा बहुत ही सामान्य जीवन जीते हैं । इनको दिखावा बिल्कुल भी पसंद नहीं है । ये बहुत ही परोकारी ब्यक्ति हैं । अपने स्टॉफ के के प्रति इनका रवैया हमेशा बहुत ही उत्तम रहा है । ये एक परोपकारी ब्यक्ति हैं । इन्हे परोपकार की वजह से बहुत सारे पुरस्कार मिल चुके हैं । Ratan Tata Biography In Hindi
रतन टाटा कैसे बने देश के सबसे बड़े उद्योगपति
रतन टाटा सबसे पहले लॉस एंजिल्स , कैलिफोर्निया मे स्थित जोन्स एंड एमोन्स में काम किया । रतन टाटा अमेरिका में ही बसना चाहते थे । लेकिन उनकी दादी की तबीयत खराब हो गयी । इसी कारण बस अमेरिका में बसने का सपना छोड़कर भारत वापस आ गए । और IBM में काम मरने लगे । ये बात जेआरडी टाटा को अच्छी नहीं लगी । जिसके कारण उन्होने रतन टाटा को टाटा ग्रुप के साथ काम करने को कहा । यहीं से उनके कैरियर की शुरुवात हुई । और पीछे मुड़कर नहीं देखा ।
रतन टाटा ने 1961 से टाटा के साथ मिलकर काम करना चालू किया । शुरुवात में रतन टाटा ने शॉप फ्लोर पर काम किया फिर बाद में टाटा ग्रुप की कंपनियों के साथ मिलकर काम करने लगे । और बहुत लगन के साथ काम करने लगे । काम की लगन को देखते हुए 1971 में नेशनल इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनी (nelco) का डायरेक्टर चुन लिया गया ।
1981 में टाटा कंपनी बहुत घाटे में आ गयी थी । जो लगभग 40% घाटे में चल रही थी । इन्ही सब को देखते हुए इन्हे टाटा का अध्यक्ष चुन लिया गया, जिसके बाद फिर से मुनाफे में चलाने लगी और थोड़े समय के बाद ही 1991 में रतन टाटा को टाटा ग्रुप का उत्तराधिकारी बना दिया गया ।
रतन टाटा ने अपनी सूझ बुझ से काम करके टाटा ग्रुप की किस्मत ही बदल डाले । कंपनी का ग्रोथ बहुत बढ़ गया । और टाटा का नाम पूरी दुनियाँ मे छा गया । Ratan Tata Biography In Hindi
टाटा ने अपनी पहली कार टाटा इंडिका नाम से 1998 मे लांच किया । इसके बाद एक के बाद कई कारें बाजार में उतारा जो टेटली , जेगुयार ,लैंड रोवर और कोरस नाम से थीं । इसके बाद उन्होने वर्ड की सबसे सस्ती कर टाटा नैनो निकाला जो फ्लाफ हो गयी ।
28 दिसम्बर 1912 को टाटा समूह की सभी जिम्मेदारियों से रतन टाटा रिटायर हो गए । Ratan Tata Biography In Hindi
इस प्रकार से रतन टाटा एक ग्रेट ब्यक्तित्व वाले व्यक्ति हैं । Ratan Tata Biography In Hindi । इनका देश के प्रति बहुत बड़ा योगदान है । देश का हर बच्चा जनता है रतन टाटा को ।अब आप जान ही गए होंगे रतन टाटा के बारे में ।
Urfi Javed | उर्फी जावेद की जीवनी । Urfi javed biography in Hindi , father , mother , boyfriend , husband , sister , hight , casts and age आदि की पूरी जानकारी दी गई है ।
उर्फी जावेद
ऊर्फी एक मशहूर भारतीय माडल टीवी अभिनेत्री हैं । 15 अक्तूबर 1996को लखनऊ उत्तर प्रदेश में पैदा हुईं थी । बड़े भैया की दुल्हनियां में अवनी की भूमिका में नजर आती हैं । तथा मेरी दुर्गा में आरती की भूमिका में नजर आती है ।
Urfi Javed biography ( ऊर्फी जावेद का जीवन परिचय )
ऊर्फी के जीवन के बारे में पूरी जानकारी निम्नलिखित हैं :
पूरा नाम
ऊर्फी जावेद
जन्म तिथि
15 /10/1996
जन्म स्थान
लखनऊ उत्तर प्रदेश
पिता का नाम
पता नहीं
माता का नाम
जकिया सुल्ताना
प्राथमिक शिक्षा
सीटी मांटेसरी स्कूल लखनऊ
हायर एजुकेशन
एम ई टी कॉलेज लखनऊ
धर्म
इस्लाम
जाति
मुस्लिम
नागरिकता
भारतीय
धरावहिक
बड़े भैया की दुल्हनियां टीवी धारावाहिक में अवनी पंत
वजन
50 kg
लंबाई
5 fit 1 Inch
शादी
अविवाहित
पेशा
टीवी एक्ट्रेस
शुरुआत
टेढ़ी मेढ़ी फैमिली
शौक
मॉडलिंग , एक्टिंग , यात्रा
बालों का रंग
काला
आंखो का रंग
भूरा
शैक्षिक योग्यता
मास कम्युनिकेशन में डिग्री
बहन का नाम
डाली जावेद
ब्वॉय फ्रेंड का नाम
पारस कलनावत
हसबैंड का नाम
अभी शादी नहीं हुई है
प्रसिद्धी का कारण
बिग बॉस O T T
साइज़
33/25/34
शुरुआत
टेढ़ी मेढ़ी फेमिली 2015
गृह नगर
लखनऊ ,उत्तर प्रदेश , भारत
टीवी शो 1
चन्द्र नंदिनी (राज कुमारी छाया )
2
मेरी दुर्गा (आरती)
3
सात फेरों की हेरा फेरी
उरफ़ी जावेद का ब्वायफ्रेंड
Urfi Javed को मेरी दुर्गा के सेट पर पारस कलनावत से मुलाक़ात हुई । दोनों मे दोस्ती हुई फिर डेट हुआ । फिर प्यार हो गया । उर्फी जावेद के ब्वायफ्रेंड का नाम पारस कलनावत था । जो बाद मे किसी कारण बस दोनों अलग हो गए ।
उर्फी जावेद के कुछ रोचक तथ्य
उर्फी हमेशा अपने कुछ खास कारनामों की वजह से सुर्खियों में रहती हैं । जो निम्न लिखित हैं :
Urfi Javed बिग बॉस में OTT के कारण सुर्खियों में आ गई थी ।
पर्दे को लेकर कुछ ऐसा बयान आया था कि इनके समुदाय के लोग काफी नाराज हो गए थे ।
कभी कभी ऐसे कपड़े पहन कर फोटो शूट करवाती हैं कि लोगों के होश उड़ जाते हैं ।
अभी हाल में ही इन्होंने केवल ऊपरी हिस्से में जंजीर ही पहन रखा था । कोई भी कपड़ा न होने के कारण इनकी त्वचा में निशान बन गए थे ।
अपने पेंट की आधी जिप खोल कर पहनती हैं । इसकी वजह से काफी चर्चा में रही हैं ।
ऊर्फी हमेशा उल्टे सीधे कपड़े पहनने की वजह से चर्चा में बनी रहती हैं । इनके फैन फॉलोअर भी बहुत बढ़ते जा रहे हैं ।
ऊर्फी का पारिवारिक जीवन काफी संघर्ष पूर्ण था । किन्ही कारणों बस पिता के द्वारा प्रताड़ित करने के बाद ऊर्फी घर छोड़कर दिल्ली भाग कर चली गई । बताते हैं एक हफ्ते तक ये एक पार्क में रहकर अपना जीवन बिताया । फिर ये नौकरी की तलास करने लगी । संयोग अच्छा था की इनको कालसेंटर में नौकरी मिल गई ।
वहीं से इनके जीवन की शुरुवात हुई । फिर कुछ दिनों तक काम करने के बाद ये टीवी धारावाहिक में काम करने लगी ।इन्होंने पहला सीरियल 2015 में टेढ़ी मेढी फैमिली में काम मिल गया । फिर कई धारावाहिकों में काम किया । लेकिन इसी बीच इनका बिग बॉस में सलेक्शन हो गया ।
बिग बास OTT से काफी चर्चा में आ गई । आज बहुत फेमस हो गई हैं ।
आप को यह लेख कैसा लगा । कमेंट करके बताएं ।
Quest.उर्फी जावेद कहां की रहने वाली हैं ?
Ans. ऊर्फी जावेद लखनऊ उत्तर प्रदेश की रहने वाली हैं ।
Quest. उर्फी जावेद कैसे मशहूर हुईं ?
Ans. उर्फी जावेद सबसे ज्यादा बिग बॉस से मशहूर हुई हैं ।
Neha kakkar biography , wiki , Bio ,Age , hight ,family , husband , boyfriend | नेहा कक्कड़ की जीवनी , बायो ,आयु ,लंबाई ,परिवार ,पति, बॉय फ्रेंड , ये एक भारतीय पार्श्व एवं बालीवुड की टॉप गायिका हैं । इनका जन्म 6 जून 1988 को उत्तराखंड के ऋषिकेश जिले में हुआ था । इनकी एक बड़ी बहन सोनू कक्कड़ हैं वो भी एक गायिका हैं । इनको बचपन से ही गाने और डांसिंग का शौक है ।
Neha kakkar biography | नेहा कक्कड़ का जीवन परिचय
Neha kakkar biography | नेहा कक्कड़ की जीवनी के बारे में निम्नलिखित जानकारी दी गयी है ।
1
पूरा नाम
नेहा कक्कड़
2
बुलाने वाला नाम
नेहा
3
ब्यवसाय
अभिनेत्री , गायिका
4
जन्म तिथि
6 जून 1988
5
पिता का नाम
ऋषिकेश कक्कड़
6
माता का नाम
नीति कक्कड़
7
बड़ी बहन का नाम
सोनू कक्कड़
8
लंबाई
4 फिट 9 इंच
9
वजन
46 केजी
10
पति का नाम
रोहन प्रीत सिंह
11
धर्म
हिन्दू
12
जाति
कक्कड़
13
नागरिकता
भारतीय
14
राशि
मिथुन
15
पसंदीदा अभिनेता
शाहरुख खान
16
पसंदीदा अभिनेत्री
जैकलिन फर्नाडीज
17
पसंदीदा म्यूजिशियन
हनी सिंह , ए आर रहमान , बोहेमियाँ , न्यवान और शानो डोनाल्ड
18
पसंदीदा फिल्म
द शौकीन
19
भाई का नाम
टोनी काकड़
20
आंखो का रंग
भूरा
21
बालों का रंग
काला
22
बॉय फ्रेंड
हिमांश कोहली
23
स्कूल
न्यू होली पब्लिक स्कूल , दिल्ली
24
जन्म स्थान
ऋषिकेश , उत्तराखंड , भारत
नेहा कक्कड़ का जीवन परिचय
नेहा कक्कड़ का शुरुआती सफर
नेहा कक्कड़ का शुरुआती जीवन बहुत अच्छा नहीं था । नेहा को बचपन से ही गाने का शौक था । शुरुआत में ये और इनकी बहन जागरण किया करती थीं । जो पैसे मिलते थे उनके पिता को हेल्प मिल जाती थी । Neha kakkar biography | नेहा कक्कड़ की जीवनी ।
2006 में नेहा कक्कड़ ने टी वी रियलिटी शो इंडियन आइडल 2 में हिस्सा लिया था । नेहा द रॉक स्टार अलबम गाने से शुरुवात की थी जो 2008 में मीत ब्रदर्स द्वारा कंपोज्ड किया गया था । जो काफी हिट भी हुआ था । यही से इनकी पहचान बन गई ।
नेहा कक्कड़ का परिवार
नेहा कक्कड़ के परिवार में उनके माता पिता तथा एक बहन और एक भाई है । उनके पिता एक प्राइवेट कंपनी में कार्यरत हैं । और मां एक गृहिणी हैं । इनके भाई टोनी कक्कड़ इस समय म्यूजिक डायरेक्टर हैं जो कई फ़िल्मों में म्यूजिक दे चुके हैं । इनकी बहन सोनू कक्कड़ भी एक गायिका है , इन्ही की प्रेरणा से ही नेहा भी गायिका बनी हैं ।Neha kakkar biography | नेहा कक्कड़ की जीवनी ।
नेहा कक्कड़ के कुछ रोचक तथ्य
नेहा कक्कड़ किसी भी तरह का अल्कोहल नहीं लेती हैं । जबकि लगभग सभी सितारे इस चकाचौंध दुनियां में हर प्रकार के ड्रिंक लेने के लिए मशहूर हैं ।
बिराट कोहली इनके बहुत बड़े फैन हैं । इनसे कई बार बोल भी चुके हैं कि ” मैं आप का बहुत बड़ा फैन हूं “
ये बहुत जल्दी भाऊक हो जाती हैं । जबकि हमेशा मुस्कुराती रहती हैं ।
इन्होंने बहुत से फ़िल्मों के लिए गाने गाए हैं ।
कई अवार्ड भी जीत चुकी हैं ।
1000से ज्यादा लाइव शो कर चुकी हैं ।
Neha Kakkar ka boyfriend
नेहा कक्कड़ का एक ब्वॉयफ्रेंड भी था जिसका नाम है हिमांश कोहली । इनको लेकर बहुत तरह की अफवाहें फैलाई जाती थी । Neha kakkar biography | नेहा कक्कड़ की जीवनी ।
नेहा कक्कड़ की शादी
नेहा कक्कड़ ने अपना जीवन चलाने के लिए एक जीवन साथी चुन लिया । जिनका नाम है रोहन प्रीत सिंह । रोहन प्रीत सिंह से ही इनकी शादी हुई है ।
Neha kakkar biography | नेहा कक्कड़ की जीवनी के बारे में और भी जानकारी चाहिए तो कमेंट करके पूछ सकते हैं । इसे बाद में और अपडेट करते रहेगें । ये पोस्ट कैसा लगा कृपया कमेंट करके बताएं । Rashmika Mandanna Biography , Katrina Kaif biography की भी बायोग्राफी पढ़कर जानकारी ले सकते हैं ।
Motivenews.net को पढ़कर बहुत सी जानकारियां ले सकते हैं ।
Shikha Sharma artist biography । शिखा शर्मा एक मशहूर इंडियन रंगोली कलाकार हैं । जिनका नाम सबसे बड़ी रंगोली के लिए गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड में रिकार्ड है । इनका जन्म इंदौर में हुआ था । ये एक बहुत अच्छी 3 डी आर्टिस्ट हैं । इनकी रंगोली की वजह से देश बिदेश में नाम है । ये एक मात्र ऐसी रंगोली कलाकार हैं जिन्हें थायलैंड से निमंत्रण मिला है । रंगोली मे चार बार बिश्व रिकार्ड पार कर चुकी हैं ।
Shikha Sharma artist biography in hindi । शिखा शर्मा की जीवनी
शिखा शर्मा का जन्म 1998 इंदौर , मध्यप्रदेश भारत में हुआ था । इनकी आयु इस समय 2022 तक 24 वर्ष की हैं । ये एक बहुत बड़ी रंगोली कलाकार हैं । अपनी पेंटिंग की वजह से कई देशों में अपनी जगह बना ली हैं । बिश्व की सबसे बड़ी रंगोली बनाकर गिनीज़ बुक में अपना नाम दर्ज करा चुकी हैं । अपनी पढ़ाई लिखाई बंबई मे ही पूरी की हैं । इनको ड्राइंग ,पेंटिंग और रंगोली बनाने का शौक बचपन से ही रहा है । और इनकी काफी रुचि आर्ट में ही है । इसी में ही अपना कैरियर बनाना चाहती हैं ।Shikha Sharma artist biography रतन टाटा का जीवन परिचय
शिखा शर्मा का जीवन परिचय
शिखा शर्मा डेली योगा करती हैं । ये अपने फिटनेस का काफी ख्याल रखती हैं । अपने आप को फिट रखने के लिए डाइट चार्ट इस्तेमाल करते हैं । शिखा शर्मा का जीवन परिचय का बायोडाटा निम्न लिखित है ।
1.
पूरा नाम
शिखा शर्मा
2.
जन्म तिथि
1998
3.
जन्म स्थान
इंदौर , मध्य प्रदेश , भारत
4.
हाइट
5 फुट 5 इंच
5.
वजन
53 किलो
6.
वैवाहिक
अविवाहित
7.
बॉयफ्रेंड
शान शर्मा
8.
जाति
शर्मा
9.
धर्म
हिन्दू
10.
पेशा
रंगोली कलाकार
11.
शैक्षिक योग्यता
स्नातक
12.
आंखो का रंग
भूरा
13.
बालों का रंग
भूरा
14.
बनावट
32-28-32
15.
शौक
रंगोली बनाना , यात्रा करना और ख़रीदारी करना
शिखा शर्मा की उपलब्धियां
शिखा शर्मा ने अब तक निम्न लिखित उपलब्धियां हासिल की हैं ।
विश्व की सबसे बड़ी रंगोली बनाने के कारण गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड हो चुका है ।
अबतक 2 मिलियन से ज्यादा फालोवर हो चुके हैं ।
बहुत से बच्चों को रंगोली सीखा चुकी हैं ।
इनकी प्रतिभा को देखकर थाईलैंड से भी निमंत्रण मिला है ।
अपनी रंगोली कलाकार की वजह से कई देशों में नाम हो गया है ।
Shikha Sharma artist biography in hindi । शिखा शर्मा की जीवनी को पढ़कर इनके बारे में पूरी जानकारी मिल ही गई होगी । और किसी की जीवनी चाहिए तो कमेंट करके बताएं । हम पूरी कोशिश करेंग उनकी जीवनी लिखने की ।Shikha Sharma artist biography
Shika Sharma Artist Husband
शिखा शर्मा एक भारतीय कलाकार हैं जो अपने जटिल और विस्तृत रंगोली कला के लिए जानी जाती हैं। वह शान जोशी से विवाहित हैं, जो उनके प्रबंधक हैं और उन्हें उनकी सोशल मीडिया उपस्थिति के साथ मदद करते हैं।
शर्मा और जोशी 2023 से शादीशुदा हैं। वे कला और संगीत के अपने साझा प्यार के माध्यम से मिले। जोशी एक संगीतकार और संगीतकार हैं, और वह अक्सर शर्मा के रंगोली प्रोजेक्ट्स में सहयोग करते हैं।
दंपति इंदौर, भारत में रहते हैं, जहाँ उनके घर में एक स्टूडियो है। वे दुनिया भर में दीर्घाओं और समारोहों में अपने काम का प्रदर्शन करने के लिए अक्सर यात्रा करते हैं Shikha Sharma artist biography https://motivenews.net/2024/12/01/prompt-seen/
शिखा शर्मा की सगाई शान जोशी के साथ हो चुकी है और शादी भी हो चुकी है । इनकी फोटो निम्न है
Shan Joshi Shikha Sharma ke husband।
Shikha Sharma Artist
Shikha Sharma is an Indian artist who is known for her rangoli creations, paintings, and sketches. She has won numerous awards and accolades for her work, including nine world records. Sharma is also a popular YouTuber, with over 10 million subscribers.Shikha Sharma artist biography
Sharma was born in Indore, India, in 1989. She began creating rangoli at a young age, and she quickly developed a talent for the art form. Sharma’s rangoli are often intricate and colorful, and they often depict traditional Indian themes.
In addition to her rangoli work, Sharma is also a skilled painter and sketch artist. Her paintings are often realistic and detailed, while her sketches are often expressive and whimsical.
Sharma is a passionate advocate for the arts, and she believes that art has the power to bring people together. She is also a dedicated teacher, and she has taught rangoli to thousands of people around the world.
Sharma is an inspiration to artists of all ages, and she is a true ambassador for Indian culture.
The Artistry of Shikha Sharma: A Maestro of Rangoli
Rangoli, an ancient Indian art form, serves as a visual celebration of color, creativity, and spirituality. In recent years, Shikha Sharma has emerged as a visionary artist, captivating audiences with her intricate and mesmerizing Rangoli designs. In this article, we delve into the world of Shikha Sharma, exploring her journey, artistic style, and the profound impact she has made in the realm of Rangoli.
A Blossoming Talent
Shikha Sharma’s passion for art manifested at a tender age. Growing up in a small village in Northern India, she found solace and inspiration in the vibrant culture that surrounded her. As a young girl, she would spend hours watching her mother and grandmother craft stunning Rangoli designs on the threshold of their home. Enthralled by their artistry, Shikha began experimenting with her own designs, slowly unraveling her innate talent.
Nurturing Creativity
Shikha’s artistic development was nurtured by her supportive family and the invaluable guidance of renowned Rangoli artists in her community. Drawing inspiration from mythological tales, nature, and everyday life, Shikha honed her skills, infusing her designs with a touch of uniqueness that set her apart.Shikha Sharma artist biography
The Spellbinding Symphony of Shikha’s Style
Shikha Sharma’s Rangoli artistry is an enchanting blend of tradition and contemporary creativity. Her designs exhibit delicate precision and use a rich tapestry of colors to evoke emotions and tell stories. Let’s delve into the elements that define her mesmerizing style.
Intricate Symmetry: Awe-inspiring Patterns
Shikha’s Rangoli designs are characterized by their intricate symmetry. Employing geometric precision, she creates awe-inspiring patterns that leave viewers captivated. Taking inspiration from ancient motifs and sacred symbols, Shikha weaves a visual tale that transcends time.
Vibrant Color Palette: A Kaleidoscope of Dreams
Color is the soul of Rangoli, and Shikha Sharma understands this deeply. Her vibrant palette breathes life into her creations, stirring emotions in all who gaze upon them. Each hue is carefully selected, reflecting the essence of the subject matter and adding depth to her designs.Shikha Sharma artist biography
Technological Innovations: Weaving the Old and the New
Shikha Sharma’s ingenuity shines through her integration of technology into Rangoli art. Embracing digital tools and projectors, she uses their capabilities to create large-scale installations that defy convention. This harmonious union of tradition and technology opens new avenues for Rangoli and attracts a wider audience to appreciate its beauty.
Inspiring a New Generation of Artists
Shikha Sharma’s artistry extends far beyond her captivating Rangoli designs. She is deeply committed to nurturing budding talent and preserving the legacy of this traditional art form. Through workshops, online tutorials, and mentorship programs, she empowers aspiring artists, ensuring that Rangoli continues to thrive for generations to come.Shikha Sharma artist biography
Spreading the Colors of Joy: Community Engagement
Shikha Sharma artist biography
Shikha Sharma actively engages with local communities, organizing Rangoli festivals and interactive workshops. These events not only showcase her art but also encourage active participation from participants of all ages and backgrounds. The vibrant colors and intricate patterns of Rangoli serve as a common language, fostering connections and celebrating diversity.
Call to Action: Embrace the Magic of Rangoli
Shikha Sharma’s artistic prowess is an inspiration to us all. Her dedication to reviving and redefining Rangoli has breathed new life into this ancient art form. Let us embrace the magic of Rangoli, immersing ourselves in its enchanting beauty and passing it on to future generations. Whether as an artist or an admirer, there is room for all to appreciate and contribute to the captivating world of Rangoli. Shikha Sharma artist biography Allu Arjun biography | अल्लू अर्जुन की जीवनी
Baba Saheb Dr Bhim Rao Ambedkar ,बाबा साहेब डा. भीम राव अम्बेडकर ,डॉ भीमराव अम्बेडकर का जीवन परिचय, बायोग्राफी, जीवनी, निबंध, लॉ यूनिवर्सिटी जयपुर, अनमोल विचार, राजनितिक विचार, जयंती, शिक्षा, धर्म, जाति, मृत्यु कब हुई थी, शायरी, आत्मकथा (Dr Bhim Rao Ambedkar Quotes, Biography in Hindi) (Jeevan Parichay, Jayanti, Speech, History, University, Quotes, Caste, Religion)
डा अम्बेडकर जी का जन्म 14 अप्रैल ,1891 को महू छावनी में महार जाति के एक गरीब परिवार में हुआ था । इनके पिता सेना में नायक थे । जिस समय बाबा साहेब का जन्म हुआ था । उस समय ऊंच नीच और छुआ छूत का भेद भाव बहुत था । इनको पढ़ने नहीं दिया जाता था । क्लास के बाहर ही बैठाया जाता था । घड़े से पानी तक पीने नहीं दिया जाता था । सब अछूत मानकर बहुत परेशान करते थे । इनका पूरा जीवन संघर्ष से भरा हुआ था ।
इन सब कठिनाइयों के बावजूद डॉक्टर अंबेडकर ने अपना हौसला नहीं छोड़ा । अपनी पढ़ाई जारी रखा । इन्होंने न केवल अपनी पढ़ाई जारी रखा बल्कि सामाजिक कू प्रथाओं के खिलाफ लड़ाई भी लड़ी ।जीतने भी संस्थागत शिक्षण संस्थान था हर सामाजिक कू प्रथाओं के खिलाफ आवाज उठाने के साथ साथ सन 1917 में कोलंबिया यूनिवर्सिटी से अर्थशास्त्र में डॉक्टरेट की उपाधि हासिल किया ।
Baba Saheb Dr Bhim Rao Ambedkar का सामाजिक संघर्ष
डॉक्टर अंबेडकर को जितनी मानसिक , शारीरिक और आर्थिक रूप से तनाव दिया गया , शायद ही कोई इसे सहन कर पाता । लेकिन इस समाज में दबे कुचले लोगों के उत्थान के लिए सब कुछ बर्दास्त करते हुए अपना सब कुछ कुर्बान कर दिया । देश की कट्टर पंथी सोच और ब्राह्मणवादी व्यवस्था का जमकर विरोध किया । उच्च जातियों से इन्हे स्पष्ट शत्रुता का सामना करना पड़ा था ।
बहुत सारी समस्याओं के बावजूद बाबा साहेब ने विदेशों में जाकर पीएचडी जैसी कई डिग्रियां हासिल किया । आज कल तो लोग सारी सुविधाएं होने के बावजूद लोग केवल बीए , बीएससी , बीटेक तक ही सीमित रह जाते हैं । लेकिन बाबा साहेब ने विदेशों में जाकर कैसे पढ़ाई की होगी ये सोचकर ही ताज्जुब लगता है ।Baba Saheb Dr Bhim Rao Ambedkar
डॉक्टर अंबेडकर चाहते थे कि सब लोग बराबर हो जाएं । क्योंकि निम्न तबके के लोगों को तालाब से या किसी कुएं तक से पानी पीने का अधिकार नहीं था ।इनका छुआ हुआ पानी कोई नही पिता था । ऐसी स्थिति में इन्होनें ना केवल पढ़ाई जारी रखा बल्कि सामाजिक आंदोलन भी कई जगह किए । इसी लिए निम्न वर्ग के लोग इनको अपना मसीहा और भगवान मानते हैं ।Baba Saheb Dr Bhim Rao Ambedkar
Dr B R Ambedkar ka jiwan parichay(डॉ भीमराव आंबेडकर का जीवन परिचय)
1. बचपन के दिन: सामाजिक और आर्थिक कठिनाइयों का सामना
डॉ भीमराव आंबेडकर का जन्म १४ अप्रैल, १८९१ में महाराष्ट्र के एक छोटे से गांव में हुआ था। उनका बचपन सामाजिक और आर्थिक कठिनाइयों का सामना करते बिता, जहां दलितों की स्थिति काफी पीड़ादायक थी। उन्होंने बचपन में खुद को शिक्षित करने का लक्ष्य बनाया और संघर्ष से पार करके इसमें सफलता प्राप्त की। Baba Saheb Dr Bhim Rao Ambedkar
2. शिक्षा की दासता को दरकिनार करते हुए पढ़ाई का महत्व
डॉ आंबेडकर को शिक्षा के महत्व का गहरा अनुभव रहा है। उन्होंने इस विचार को अपने जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा बनाया कि अपनी दासता को छोड़कर पढ़ाई करना उनके विकास के लिए आवश्यक है। उन्होंने मेहनत करके अपनी पढ़ाई पूरी की और इससे खुद को समाज में पहचान बनाने का मौका मिला।Baba Saheb Dr Bhim Rao Ambedkar
3. उनके मिषन के पीछे की प्रेरणा
डॉ भीमराव आंबेडकर के मिषन की प्रेरणा उनकी अपनी अनुभवित कठिनाइयों से उत्पन्न हुई। उनके लिए समाजिक न्याय और ईंटसे खड़ी संरचना को तोड़ने का उत्साह और मिशन बना था। उन्होंने स्वयं को धर्मनिरपेक्षता, सामाजिक न्याय, और भारतीय संविधान के मूल्यों के संरक्षण के लिए समर्पित किया।
4. आंबेडकर की भारतीय संविधान के निर्माण में योगदान
डॉ आंबेडकर की सबसे महत्वपूर्ण योगदानों में से एक भारतीय संविधान का निर्माण था। उन्होंने अपनी विशेषज्ञता और ज्ञान का इस्तेमाल करके एक मजबूत और इंसानीरूपी संविधान बनाया जो सभी नागरिकों के अधिकारों की सुरक्षा करता है। उनकी मेहनत और प्रयासों के कारण ही भारतीय संविधान आज एक मूर्तिमान दस्तावेज के रूप में मान्यता प्राप्त कर चुका है।Baba Saheb Dr Bhim Rao Ambedkar
ईंट से खड़ी होती है भव्य संरचना: डॉ आंबेडकर की संघर्षमयी यात्रा
1.कास्ट संरचना और उसके प्रतिष्ठान्त्रित करने की कठिनाइयाँ
डॉ भीमराव आंबेडकर ने अपनी संघर्षमयी यात्रा में कास्ट संरचना और उसके प्रतिष्ठान्त्रित करने की कठिनाइयों का सामना किया। उन्होंने इस अन्यायपूर्ण व्यवस्था के खिलाफ लड़ाई लड़ी और अपनी आवाज को उठाकर दलितों के लिए समानता और न्याय स्थापित करने का प्रयास किया।
2. आंबेडकर का नागरिकता आंदोलन: डालीतों की रक्षा की लड़ाई
डॉ आंबेडकर ने अपने जीवन के दौरान नागरिकता आंदोलन का मुख्य आयोजन किया। यह आंदोलन डालितों की रक्षा की लड़ाई थी, जहां उन्होंने सामाजिक, आर्थिक, और राजनीतिक असमानता के खिलाफ आवाज उठाई। इससे डालित समुदाय को अपनी मुख्य पहचान की प्राप्ति हुई और उन्होंने न्याय के लिए लड़ाई लड़ी। Baba Saheb Dr Bhim Rao Ambedkar
3. अनुसूचित जाति आन्दोलन और उसकी उपयोगिता
आंबेडकर ने भारतीय समाज में अनुसूचित जाति आंदोलन की प्रवृत्ति की और इससे उन्होंने दलित समाज को रोशनी का एक माध्यम प्रदान किया। यह आंदोलन उनके समाजिक परिवर्तन के लिए महत्वपूर्ण था और समाज में उच्चतम जनसंख्या के लिए आवास, शिक्षा, और रोजगार की सुविधा प्रदान करने में मदद की।
4.विदेशी शासनशक्ति के खिलाफ लड़ाई: स्वतंत्रता संग्राम में योगदान
डॉ आंबेडकर ने विदेशी शासनशक्ति के खिलाफ भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में भी अपना योगदान दिया। उन्होंने अपनी विचारशक्ति और उद्दाम द्वारा अदालती केसों में अहम भूमिका निभाई और स्वतंत्र भारत के लिए लड़ाई लड़ी। उनका संघर्ष न केवल दलित समुदाय के लिए था, बल्कि भारतीय समाज के लिए एक महत्वपूर्ण परिवर्तन का संकेत भी था।Baba Saheb Dr Bhim Rao Ambedkar
3. डॉ भीमराव आंबेडकर: सत्ता में लड़ाई और समाजसेवा की ज़िम्मेदारी
a बाबासाहेब भीमराव आंबेडकर का नेतृत्व और राजनैतिक कार्यकर्म
डॉ भीमराव आंबेडकर एक महान नेता थे जिनकी सोच और कर्मठता ने उन्हें एक नेतृत्वी स्थान प्राप्त कराया। उन्होंने अपने नेतृत्व के माध्यम से अनेक सामाजिक, आर्थिक और राजनैतिक परिवर्तनों को लाए। उन्होंने महाराष्ट्र के दलित समाज के लिए लड़ाई लड़कर उन्हें अपना अधिकार दिलाया और उनकी गरिमा को संरक्षित किया। उन्होंने भारतीय संघटना दल की स्थापना की और उसे नेतृत्वित किया। उन्होंने कई सरकारी पदों में भी कार्य किया और उनकी राजनीतिक योगदान के कारण वे साम्राज्यवाद के ख़िलाफ़ जाने जाते हैं।Baba Saheb Dr Bhim Rao Ambedkar
b.वैश्विक प्लेटफॉर्म पर मचाएंगे धूम: आंतरराष्ट्रीय क्षेत्र में योगदान
डॉ भीमराव आंबेडकर के विचार और सद्भावना ने विश्व भर में धूम मचाई। उनकी सोच वैश्विक रूप से मान्यता प्राप्त कर चुकी है। उन्होंने अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर दलितों और वंचित वर्ग के अधिकारों की लड़ाई लड़ी। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र संघ के बनने में अहम योगदान दिया और आंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकारों के लिए संघर्ष किया। उनके कार्यों ने उन्हें संयुक्त राष्ट्र और विश्व भर में मान्यता दिलाई है और उनकी योगदान सराहनीय हैं। Baba Saheb Dr Bhim Rao Ambedkar
c. समाजिक न्याय के मूल्यों के समर्पण की कहानी
डॉ भीमराव आंबेडकर की महानता उनके समाजिक न्याय के मूल्यों में निहित है। उन्होंने दलितों, वंचित वर्गों, महिलाओं और असमानता से पीड़ित लोगों के लिए अवसरों की सुविधा सुनिश्चित की। उन्होंने अधिकार की लड़ाई लड़ी और उन्हें समाज में सम्मान प्राप्त करने का अवसर दिया। उन्होंने समाज को समानता, इंसाफ़ और न्याय के माध्यम से स्थायी रूप से सुधारा। उनके योगदान ने समाज को सामरिकता से बाहर निकालकर उसे समृद्धि और विकास की ओर ले जाया।
d. आंबेडकर की राष्ट्रीय विद्रोह आंदोलन की महत्वपूर्ण घटनाएं
डॉ भीमराव आंबेडकर का राष्ट्रीय विद्रोह आंदोलन उनके जीवन में महत्वपूर्ण घटनाओं में से एक है। उन्होंने दलित समाज के लिए समानता की मांग के लिए लड़ाई लड़ी और उन्हें दर्ज़ी किया। उन्होंने महाराष्ट्र के पैकेटबंदी कन्या विद्रोह, महद विद्रोह और पूना पैकेटबंदी आंदोलन जैसे आंदोलनों की गठबंधन की योजना बनाई। इन आंदोलनों के माध्यम से उन्होंने समग्र भारत में विशेष अधिकार की मांग की और सामाजिक बदलाव की मांग को सुनिश्चित किया। उनके विद्रोह आंदोलन ने एक बदलावी लहर को जन्म दिया और उनके अद्वितीय योगदान को बढ़ावा दिया।
4. डॉ आंबेडकर जीवनी की महत्वपूर्णता
i आत्मसमर्पण की बातें: डॉ आंबेडकर की उपलब्धियाँ
डॉ भीमराव आंबेडकर एक आत्मसमर्पण के मिसाल हैं। उनके जीवन में कई उपलब्धियाँ हैं जो उनकी महानता की प्रमाणित करती हैं। उन्होंने विश्वविद्यालय की स्थापना की, संविधान साधारण सभा के अध्यक्ष बने और भारतीय संघ के समाप्ति का भारतीय जनता पार्टी के संघ कोंड़ा चुना। उन्होंने अनेक ऐसे कार्य किए हैं जिनसे समाज में सुधार लाया गया है और उनके कार्यों को सिद्ध करने में उन्होंने अपना पूरा आत्मसमर्पण किया है। Baba Saheb Dr Bhim Rao Ambedkar
ii संघर्ष से सफलता की ओर: उनकी संघर्षपूर्ण कहानियाँ
डॉ भीमराव आंबेडकर ने जीवन में कई संघर्षों का सामना किया। उन्होंने एक दलित के रूप में जन्म लिया और जीवन भर उन्हें असामान्य संघर्ष का सामना करना पड़ा। उन्होंने अशिक्षित और वंचित लोगों के लिए शिक्षा के अवसर मुहैया कराए। उन्होंने धार्मिक और सामाजिक प्रतिष्ठा से पीड़ित लोगों के लिए अधिकार की लड़ाई लड़ी। उन्होंने संघर्ष के माध्यम से सरल लोगों के अधिकार की ओर सफलता की ओर जाने का प्रयास किया।
iiiभारतीय इतिहास में डॉ आंबेडकर का महत्व
डॉ भीमराव आंबेडकर भारतीय इतिहास में एक महत्वपूर्ण व्यक्ति हैं। उनकी महानता और योगदान भारतीय समाज में अद्वितीय हैं। उनके सोच और कर्मठता ने विभिन्न समाजिक वर्गों को संघटित किया । Baba Saheb Dr Bhim Rao Ambedkar
इनके जीवन के बारे मे निम्नलिखत तथ्य हैं ।
1.
पूरा नाम
भीम राव राम जी अंबेडकर
2.
पिता का नाम
श्री रामजी वल्द मालोजी सकपाल
3.
माता का नाम
भीमा बाई
4
जन्म तिथि
14/04/1891
5
जन्म स्थान
महू छावनी , मध्य प्रदेश ,भारत
6
शिक्षा
मुंबई यूनिवर्सिटी से बी. ए.
कोलंबिया विश्वविद्यालय से एम. ए. , पी. एच. डी. और एल. एल. डी.
लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से एम. एस. सी., डी. एस. सी. बैरिस्टर एट ला
1 बहिष्कृत हितकारिणी सभा 2. समता सैनिक दल 3. डिप्रेस्ड क्लासेस एजुकेशन सोसाइटी 4. पीपुल एजुकेशन सोसाइटी 5. द बॉम्बे सेड्यूल्ड कास्ट्स इंप्रूवमेंट ट्रस्ट 6. भारतीय बौद्ध महासभा
9
प्राप्त अवार्ड / सम्मान
बोधिसत्व 1956 भारत रत्न 1990 कोलंबियन अहेड ऑफ द ईयर टाइम 2004 द ग्रेटेस्ट इन्डियन 2012
10.
विशेष कार्य
अर्थशास्त्री , मनोविज्ञानी, राजनीतिज्ञ , विधिवेत्ता , समाजशास्त्री , शिक्षा विद , प्रोफेशर , लेखक ,पत्रकार, धर्म शास्त्री , इतिहासविद , शिक्षाविद दार्शनिक
11.
धर्म
बौद्ध धर्म
12.
बच्चे
यशवन्त अंबेडकर
13.
राष्ट्रीयता
भारतीय
14.
व्यवसाय
प्रोफेसर , राजनीतिज्ञ ,वकालत
15.
जाति
महार
बाबा साहेब डा. अंबेडकर का विशेष योगदान
बाबा साहेब ने देश की जनता और देश को समर्थ बनाने हेतु बहुत से अभूतपूर्व सराहनीय कार्य किया है ।
1.रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की स्थापना बाबा साहेब की लिखी गई पुस्तक “the broblem of the rupie” के आधार पर हुई थी । ये डा. अम्बेडकर की देन है ।
2.परियोजनाओं का निर्माण
हमारे देश की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी । बाबा साहेब एक दूरदर्शी थे । वे जानते थे कि अगर हमारे देश में कुछ ठोस कदम नहीं उठाए गए तो हमारा देश और गरीब हो जाएगा । इसलिए नदियों पर बांध बनाकर खेती के लिए पानी और बिजली की आपूर्ति हेतु महत्व पूर्ण योगदान दिया है । उन्होंने हीरा कुंड बांध, दामोदर घाटी , सोन नदी घाटी परियोजना इन्ही की देन है ।
3.आरक्षण का अधिकार
दलितों ,पिछड़ों और आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को आरक्षण का अधिकार बाबा साहेब की ही देन है । Dr Ambedkar ने समानता का अधिकार भी दिलाया है Baba Saheb Dr Bhim Rao Ambedkar
4. महिलाओं को पढ़ने का अधिकार
सबसे पहले महिलाओं को पढ़ने का अधिकार नहीं था । डा. भीमराव अम्बेडकर ने ही महिलाओं को समानता , पढ़ने और नौकरी में आरक्षण का अधिकार दिलाया है ।
Baba Saheb Dr Bhim Rao Ambedkar ने बहुत से ऐसे ऐसे सामाजिक कार्य किया है । जो कोई भी नही कर सकता है ।
बीसवीं शताब्दी के एक श्रेष्ठ चिंतक, दूरदर्शी, यशस्वी वक्ता, ओजस्वी लेखक तथा भारतीय संविधान के प्रमुख निर्माता बाबा साहेब डॉ. भीमराव अम्बेडकर का जन्म 14 अप्रैल, 1891 को महू के एक महार परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम रामजी मालाजी अम्बेडकर तथा माता का नाम भीमाबाई था। भीमराव अपने माता-पिता की चौदहवीं संतान थे। जब वे दो वर्ष के थे तब उनके पिता थल सेना से सेवानिवृत्त हो गए तथा सपरिवार मुम्बई के सतारा जिले में आ गए। अम्बेडकर का विवाह 14 वर्ष की आयु में रमाबाई के साथ हुआ था । Baba Saheb Dr Bhim Rao Ambedkar
छूआछूत के दंश और उसकी गहन पीड़ा को अम्बेडकर ने बचपन से ही अनुभव किया था। स्कूल में अम्बेडकर को जात-पात के कारण अत्यंत अपमानित होना पड़ा। एक बार उन्हें ब्लैकबोर्ड तक जाने से सिर्फ इसलिए रोक दिया गया क्योंकि तथाकथित ऊंची जातियों के सहपाठियों के खाने के डिब्बे वहां पास ही में रखे थे, जब उन डिब्बों को वहां से हटा लिया गया अम्बेडकर तभी ब्लैकबोर्ड तक जा सके थे। कॉलेज पहुंचने पर उन्हें वहां के टी-स्टॉल में चाय पीने की अनुमति नहीं थी क्योंकि टी-स्टॉल का मालिक सवर्ण था। Baba Saheb Dr Bhim Rao Ambedkar
अपनी जाति के कारण ही अम्बेडकर को संस्कृत का अध्ययन करने की अनुमति नहीं थी। बड़ौदा के शिक्षा प्रेमी महाराज सयाजीराव गायकवाड के छात्रवृत्ति देने पर 1913 में उन्होंने अमेरीका के कोलंबिया यूनिवर्सिटी में राजनीति शास्त्र के छात्र के रूप में एडमिशन लिया। 1916 में भारत में जाति-भेद नामक प्रबंध लिखकर प्रो. गोल्डेन के सामने पढ़ा और उसी वर्ष भारत की अर्थव्यवस्था पर एक प्रबंध लिखा जिस पर कोलंबिया विश्वविद्यालय ने उन्हें पी.एच.डी. की डिग्री प्रदान की। Baba Saheb Dr Bhim Rao Ambedkar
विदेश से पढ़ाई पूरी करके आने पर भी अम्बेडकर के माथे से अछूतो का कलंक नहीं मिटा यही कारण था कि बड़ौदा के किसी भी होटल में उन्हें जगह नहीं मिली। उन्होंने बड़ौदा के महाराज के यहां नौकरी कर ली किंतु यह के चपरासी भी उनसे दूर रहते थे और अपने विस्तर व कपड़े इस प्रकार समेट कर रखते थे कि कहीं अम्बेडकर के स्पर्श से वे दूषित न हो जाएं। अम्बेडकर के मकान मालिक ने उनकी जाति का पता चलते ही उन्हें अपने घर में निकाल दिया। एक कॉलेज में प्राध्यापक नियुक्त होने पर उनक को यह बिल्कुल भी स्वीकार्य नहीं था कि वे एक ही घड़े से पानी पिएं। बाद में अम्बेडकर ने स्वतन्त्र रूप से अपना कार्य आरम्भ कर दिया। Baba Saheb Dr Bhim Rao Ambedkar
यद्यपि, समाज में अब भी उन्हें अछूत ही माना जाता था, तथापि, उनकी यता पर किसी को भी किसी प्रकार का संदेह नहीं था। बबई में अ ने दि स्मॉल होल्डिंग्स इन इण्डिया एंड देअर रेमिडीज नाम की एक पुस्तक प्रकाशित की। उन्होंने अपने जीवन का एकमात्र ध्येय हिंदू समाज के अन्द तथा अत्याचार का प्रतिकार करके अस्पृश्योद्धार करना निश्चित किया। नवंबर 1918 में डॉ. अम्बेडकर बंबई सिडेनहम कॉलेज ऑफ कॉमर्स एंड इकॉनामिक्स में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर नियुक्त हुए। Baba Saheb Dr Bhim Rao Ambedkar
जून 1921 में लन्दन विश्वविद्यालय में इनके द्वारा लिखित प्रबंध प्राविशियल डिसेंट्रलाइजेशन ऑफ इंपीरियल फायनांस इन ब्रिटिश इण्डिया पर एम.एस.सी. की उपाधि प्रदान की। जून 1922 में उन्होंने एक अन्य शोधपत्र प्रॉब्लम ऑफ रुपी लन्दन विश्वविद्यालय में जमा कराया। इसके पश्चात् वे जर्मनी के बोन विश्वविद्यालय में पढ़ाई के लिए गए और वहां से उन्होंने डी.एससी. की उपाधि प्राप्त की। उनका शोधपत्र दिसम्बर 1923 में प्रकाशित हुआ। अम्बेडकर अप्रैल 1923 में बैरिस्टर बने व उसी वर्ष से उन्होंने बंबई उच्च न्यायालय में वकालत करनी प्रारंभ की थी। Baba Saheb Dr Bhim Rao Ambedkar
सामाजिक एकता , दलितोद्धार और सामाजिक न्याय
निःसंदेह अम्बेडकर अपनी योग्यता, अथक परिश्रम एवं कठोर संघर्ष के बल पर शनैः शनैः विकास की ओर अग्रसर हुए थे, किन्तु वे इस कटु सत्य से भी परिचित थे कि समाज में उन्हें तब तक न तो उचित स्थान मिल सकता है और न ही उनकी योग्यता का कोई मूल्य ही आंका जाएगा, जब तक कि वे अछूत रूप मे जाने जाएंगे। उन्होंने देश के सामाजिक, सांस्कृतिक एवं धार्मिक इतिहास का गहराई से अध्ययन किया तथा इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि हिंदू धर्म के चतुर्वर्ण से उत्पन्न अस्पृश्यता ही दलित वर्ग के पिछड़ेपन का कारण है। Baba Saheb Dr Bhim Rao Ambedkar
इस अस्पृश्यता को मिटाए बिना सामाजिक समानता लाना सर्वथा असम्भव है। उन्होंने दलित वर्ग के लोगों में जागृति लाने का प्रयास किया और उन्हें अपने बच्चों को विद्यालय भेजने के लिए प्रेरित किया। उनका विचार था कि राजनीतिक एवं सामाजिक परिवर्तन लाने हेतु दलित वर्ग में शिक्षा का प्रसार किया जाना नितांत अनिवार्य है। अपने अछूतोद्धार आंदोलन का श्रीगणेश इन्होंने 20 जुलाई, 1924 को बंबई में ‘बहिष्कृत हितकारणी समा की स्थापना से किया। Baba Saheb Dr Bhim Rao Ambedkar
अछूत वर्ग में शिक्षा का प्रसार करने के लिए छात्रावास की स्थापना करना, सांस्कृतिक विकास, वाचनालय तथा अभ्यास केंद्र चलाना, तथा कृषि स्कूल खोलना, अस्पृश्यता निवारण आंदोलन को आगे बढ़ाना आदि उनके अछूतोद्धार आंदोलन के प्रमुख कार्यक्रम थे।
डॉ. अम्बेडकर न केवल अस्पृश्यता को अपितु जातिवाद और वर्णभेद को भी सदा के लिए मिटा देना चाहते थे। इस संदर्भ में उन्होंने 1927 में पहाड़ में एक सार्वजनिक सभा का आयोजन किया तथा तदुपरांत चारदार के तालाब से, जहां अछूतों को पानी पीने की अनुमति नहीं थी, सामूहिक रूप से पानी पिया। तत्पश्चात् 2 मार्च, 1930 को गुजरात के कालाराम मन्दिर में अछूतों के प्रवेश पर लगी रोक के विरुद्ध सत्याग्रह आरम्भ किया। Baba Saheb Dr Bhim Rao Ambedkar
8 अगस्त, 1930 को नागपुर में एक अखिल भारतीय दलित कांग्रेस का आयोजन किया गया, जिसकी अध्यक्षता अम्बेडकर ने की थी। उन्होंने दलित वर्ग के लोगों को लोक सेवाओं में जाने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने साइमन आयोग से यह शिकायत की कि उसने दलित वर्ग की आवश्यकताओं एवं उनके अधिकारों का क्रमबद्ध रूप से निम्न मूल्यांकन किया। दिसम्बर 1930 में उन्होंने गोल मेज सम्मेलन में भाग लिया, जिससे विश्वभर में उनकी छवि भारत के अस्पृश्य के नेता के रूप में उभर कर आई।
उन्होंने दलित वर्ग के प्रति अंग्रेजों के उपेक्षित व्यवहार को लक्षित किया। उन्होंने अन्य भारतीय नागरिकों की भाँति दलित वर्ग के लिए समान नागरिक अधिकारों तथा अस्पृश्यता एवं किसी भी रूप में कानूनी असमानता के निवारण की मांग की। उन्होंने दलित वर्ग के राजनीतिक संरक्षण की योजना का स्मरण-पत्र तैयार करके अल्प मत उप-समिति के समक्ष प्रस्तुत किया।
इसमें पृथक निर्वाचन तथा सुरक्षित सीटो की मांग की गई थी, जो आगे चलकर महात्मा गांधी एवं डॉ. अम्बेडकर के मध्य संघर्ष का कारण बनी। बाद में उन्होंने इस संबंध में गांधी जी के साथ 24 सितम्बर, 1932 को पूना में एक समझौता (पूना पैक्ट) किया, जिसके अनुसार वे पृथक् निर्वाचन संघ के स्थान पर पृथक् प्रतिनिधित्व पर सहमत हुए।
15 अगस्त, 1947 को भारत स्वतन्त्र हुआ। जवाहरलाल नेहरू की अध्यक्षता में बनी अंतरिम सरकार में वे विधि मंत्री बनाए गए। 29 अगस्त, 1947 को संविधान सभा में अम्बेडकर की अध्यक्षता में एक प्रारूप समिति का गठन किया गया। उन्होंने 4 नवम्बर, 1948 को संविधान का प्रारूप संविधान सभा को सौंप दिया।
26 नवम्बर, 1949 को संविधान सभा द्वारा संविधान को स्वीकृति प्रदान कर दी गई। इसके कुछ प्रावधान (नागरिकता, निर्वाचन एवं अंतरिम संसद से संबंधित उपबंध एवं अस्थायी तथा संक्रमणकारी उपबंध) तत्काल प्रभाव से तथा शेष संविधान 26 जनवरी, 1950 से संपूर्ण देश में लागू कर दिया गया।
अम्बेडकर ने 1949 में काठमाण्डू में ‘विश्व बौद्ध सम्मेलन’ को ‘मार्क्सवाद एवं बौद्ध धर्म’ विषय पर संबोधित किया। जुलाई 1951 में उन्होंने भारतीय बौद्ध जनसंघ की तथा 1955 में भारतीय बौद्ध सभा की स्थापना की। 15 अप्रैल, 1948 को इन्होंने डॉ. शारदा कबीर, जो कि जाति से ब्राह्मण थीं, से पुनर्विवाह किया (उनकी प्रथम पत्नी का 27 मई, 1935 को स्वर्गवास हो चुका था)।
हिंदू धर्म में व्याप्त छुआछूत एवं अन्य कुरीतियों से खिन्न होकर डॉ. अम्बेडकर ने 14 अक्टूबर, 1956 को नागपुर में अपने लगभग 2 लाख दलित अनुयायियों के साथ सामूहिक रूप से हिंदू धर्म का त्याग कर बौद्ध धर्म की दीक्षा ली। 6 दिसम्बर, 1956 को इस महान समाजसेवी, दलितों के उद्धारक एवं गरीब किसानों के हित चिंतक का निधन हो गया ।Baba Saheb Dr Bhim Rao Ambedkar
लोकतन्त्र पर विचार
अम्बेडकर लोकतन्त्र के संबंध में मात्र बातें ही नहीं करते थे। इस संदर्भ में वे एक सिद्धांतवादी से अधिक अर्थक्रियावादी (pragmatist) थे। वे व्यावहारिक लोकतन्त्र (practical democracy) में दृढ़ता से विश्वास रखते थे। उन्होंने विश्व के सभी लोकतान्त्रिक देशों की ओर प्रेम एवं मित्रता का हाथ बढ़ाया। वे राजनीति विज्ञान की यथार्थवादी शाखा से संबंधित थे। उनकी लोकतन्त्र की विशिष्टताओं, जैसे-विचार एवं अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता, आदि जिनके अभाव में मानव जीवन जीने के योग्य नहीं रह जाएगा, के प्रति अगाध श्रद्धा थी ।
अम्बेडकर मुख्य रूप से जरूरतमंदों एवं निम्नस्तरीय लोगों की सेवा से सम्बद्ध थे। उन्होंने मानवता की सेवा पर पर्याप्त बल दिया। प्रेम एवं समर्पण के अभाव में व्यक्ति मानव समाज की भलाई के लिए कोई भी संहत कार्यवाही स्वयं नहीं कर सकते। उनके विचार में स्व-सहायता ही सर्वश्रेष्ठ सहायता है। स्व-सहायता से मनुष्य आत्म-उत्थान कर सकता है तथा आत्म-सम्मान को पुनः प्राप्त कर सकता है। उन्होंने लोगों को यह परामर्श दिया कि उन्हें प्रेम के महान आदर्श एवं सही मार्ग का अनुसरण करना चाहिए। वे यह नहीं चाहते थे कि मनुष्य केवल जैविक सुखों (organic pleasures) से संतुष्ट हो जाएं।
डॉ. अम्बेडकर शिक्षा को अत्यधिक महत्व देते थे। वे अध्यापन कार्य को सर्वश्रेष्ठ कार्य तथा विद्यार्थियों को समाज का एक बौद्धिक अंग मानते थे, जो कि लोकमत को लोकतन्त्र, राष्ट्रवाद एवं मानववाद की ओर मोड़ सकते हैं। लोक सेवा एवं मानव प्रेम में अगाध श्रद्धा होने के कारण उन्होंने नौकरी छोड़कर वकालत आरंभ कर दी तथा राजनीति में पदार्पण किया। उनका कथन था कि, “मैंने अपना कैरियर 1919 में इंग्लैण्ड से वापस लौटने के उपरांत मुम्बई के गवर्नमेंट कामर्स कॉलेज में राजनीतिक अर्थशास्त्र के प्रोफेसर के रूप में आरम्भ किया। किंतु, जल्द ही मैंने यह अनुभव किया कि लोक सेवा की आकांक्षा रखने वाले व्यक्ति के लिए सरकारी सेवा उचित नहीं है। एक सरकारी कर्मचारी अनुशासन के नियमों से बंधा हुआ होता है। उसे लोक सेवा के प्रत्येक कार्य में बाधा का सामना करना पड़ता है।”
अम्बेडकर लोकतन्त्र से अत्यधिक प्रभावित थे। उनके लिए लोकतन्त्र का आशय दासता, जातिवाद एवं अवपीड़न से विहीन समाज से था । लोकतन्त्र की जड़ें समाज में मनुष्य के आपसी सम्बन्धों में ढूंढी जा सकती है। उन्होंने पाया कि भारतीय समाज में व्याप्त निरक्षरता, निर्धनता एवं जातीय भेदभाव लोकतन्त्र के लिए खतरे हैं।
यह अत्यधिक महत्वपूर्ण है कि निर्धन जनता को शिक्षित किया जाए तथा उनमें वास्तविक राजनीतिक चेतना तथा संविधानिक प्रकृति का विकास किया जाए। लोकतान्त्रिक समाज मात्र सैद्धान्तिक नहीं हो सकता। यह लोगों की वास्तविक दशाओं से संबद्ध होता है। वे लोकतन्त्र का लोगों के सामाजिक संगठन के रूप में सम्मान करते थे। सच्चा लोकतन्त्र अल्पसंख्यकों के शोषण अथवा दमन के सर्वथा विरुद्ध होता है चूंकि, वे मनुष्य के कल्याण एवं मानवाधिकारों पर अत्यधिक बल देते थे अतः उनकी दृष्टि में लोकतन्त्र सर्वसत्तावाद, निरंकुशतावाद, फासीवाद एवं अराजकतावाद से पूर्णतः विपरीत है। उनके विचार में समाज के सभी सदस्य जहां तक सम्भव हो सके मानवाधिकारों में सहभागी हों । प्रत्येक व्यक्ति को समान अवसरों की प्राप्ति हो। उन्होंने मानवाधिकारों की समानता एवं स्वतन्त्रता पर अत्यधिक बल दिया । लोकतन्त्र कभी भी साम्प्रदायिकता अथवा प्रजातीय विभेद की कल्पना नहीं करता ।
संकल्पवाद (Voluntarism) का अर्थ जीवन के विविध क्षेत्रों में संस्थाओं ( associations) से मुक्ति (freedom) है। इस तथ्य का अम्बेडकर की लोकतन्त्र की संकल्पना में अतिमहत्वपूर्ण स्थान है। राज्य मानवीय जीवन के प्रत्येक पक्ष को नियंत्रित नहीं कर सकता। उनका कथन है कि, “कोई भी कानून अभिव्यक्ति, प्रेस, संघ एवं सभा की स्वतन्त्रता को सीमित नहीं कर सकता, बशर्ते कि वह सार्वजनिक व्यवस्था एवं नैतिकता के विरुद्ध न हो।” उन्होंने लोगों को सभी प्रकार की स्वतन्त्रता प्रदान किए जाने की आवश्यकता पर बल दिया ताकि वे अधिकाधिक स्वतन्त्रताओं का उपयोग कर सकें। संकल्पवाद की अवधारणा केवल लोकतन्त्र के अंतर्गत ही दृष्टिगोचर होती है। यह स्वतन्त्रता एवं लोकतंत्र की आत्मा है।
अम्बेडकर के राजनीतिक चिन्तन में लोकतन्त्र की संकल्पना के अंतर्गत लोकतन्त्र का आशय सरकार का गठन मात्र नहीं है अपितु एक सामाजिक संगठन का गठन है। उनकी यह पूर्व धारणा थी कि संसदीय लोकतन्त्र के सिद्धांतों की नींव पर ही सामाजिक संबंधों की स्थापना की जा सकती है। उनके विचार में केवल लोगों के विचार ही संसदीय लोकतंत्र के सही कार्य संचालन में सहायक सिद्ध हो सकते हैं।Baba Saheb Dr Bhim Rao Ambedkar
न्याय एवं शांति पर विचार
डॉ. भीमराव रामजी अंबेडकर भारत के महान समाज सुधारक, अर्थशास्त्री, विधिवेत्ता और राजनीतिज्ञ थे. उन्होंने भारत के संविधान के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और भारत के पहले कानून मंत्री बने. डॉ. अंबेडकर का न्याय और शांति पर गहरा विश्वास था. उन्होंने कहा कि न्याय और शांति एक ही सिक्के के दो पहलू हैं. न्याय के बिना शांति नहीं हो सकती और शांति के बिना न्याय नहीं हो सकता. डॉ. अंबेडकर ने न्याय और शांति के लिए कई तरह के उपाय सुझाए. उन्होंने कहा कि सरकार को सभी लोगों के लिए समान अवसर प्रदान करना चाहिए. उन्होंने कहा कि सरकार को सभी लोगों के साथ समान व्यवहार करना चाहिए, चाहे उनकी जाति, धर्म, लिंग या कोई अन्य आधार कुछ भी हो. उन्होंने कहा कि सरकार को सभी लोगों के अधिकारों की रक्षा करनी चाहिए. उन्होंने कहा कि सरकार को सभी लोगों को न्याय दिलाने के लिए कदम उठाने चाहिए. डॉ. अंबेडकर का मानना था कि न्याय और शांति ही एक समृद्ध और खुशहाल समाज का आधार है. उन्होंने कहा कि बिना न्याय और शांति के एक समृद्ध और खुशहाल समाज का निर्माण नहीं किया जा सकता. डॉ. अंबेडकर के विचार आज भी प्रासंगिक हैं. वे हमें यह सिखाते हैं कि न्याय और शांति के लिए संघर्ष करना ही एकमात्र रास्ता है.Baba Saheb Dr Bhim Rao Ambedkar
डॉ. अंबेडकर के न्याय और शांति पर कुछ विचार इस प्रकार हैं:
न्याय और शांति एक ही सिक्के के दो पहलू हैं.
न्याय के बिना शांति नहीं हो सकती और शांति के बिना न्याय नहीं हो सकता.
सरकार को सभी लोगों के लिए समान अवसर प्रदान करना चाहिए.
सरकार को सभी लोगों के साथ समान व्यवहार करना चाहिए.
सरकार को सभी लोगों के अधिकारों की रक्षा करनी चाहिए.
सरकार को सभी लोगों को न्याय दिलाने के लिए कदम उठाने चाहिए.
न्याय और शांति ही एक समृद्ध और खुशहाल समाज का आधार है.
बिना न्याय और शांति के एक समृद्ध और खुशहाल समाज का निर्माण नहीं किया जा सकता.
डॉ. अंबेडकर के विचार हमें यह सिखाते हैं कि न्याय और शांति के लिए संघर्ष करना ही एकमात्र रास्ता है।
डॉ आंबेडकर का जन्म स्थान मध्य प्रदेश, भारत था। वे महू छावनी , मध्य प्रदेश ,भारत में पैदा हुए। यह छोटा सा गांव राजगुरु नेरुआ ग्राम पंचायत क्षेत्र में स्थित होता है।
2.डॉ भीमराव आंबेडकर की सबसे महत्वपूर्ण प्रकटीकरण क्या है?
डॉ भीमराव आंबेडकर की सबसे महत्वपूर्ण प्रकटीकरण भारतीय संविधान की निर्माण करना है। उन्होंने महात्मा गांधी के समर्थन में ही संविधान निर्माण कर रचना में योगदान दिया। यह संविधान भारत की सबसे महत्वपूर्ण नगरीय दस्तावेज है जो देश के लोगों के मौलिक अधिकारों को संरक्षित करने के लिए बनाया गया है।
3.डॉ भीमराव आंबेडकर की किताबें कौन-कौन सी हैं?
डॉ आंबेडकर की महत्वपूर्ण किताबें में से कुछ नाम इस प्रकार हैं: ‘आनंदीबाई गोले’ ‘बौद्ध धर्म और भारतीय जीवन’ ‘भारतीय जाती व्यवस्था’ ‘आंबेडकर नेरु’ ‘भारतीय गणतंत्र आणि कर्मचारी प्रथा’ ‘मुद्गलची रेणुका’ ‘विचारविमर्श’ आदि।
Katrina Kaif biography । कैटरीना कैफ की जीवनी । कैटरीना कैफ का जन्म 16 जुलाई 1983 को हांग कांग लंदन में हुआ था । इनकी माता का नाम सुजेन टुर्कोट तथा पिता का नाम मुहम्मद कैफ है ।इनका पालन पोषण और पढ़ाई लिखाई इनकी माँ के ही जिम्मे था । क्योकि इनके बचपन में ही माता पिता का तलाक हो गया था ।
कैटरीना कैफ की मां कई देशों में रह चुकी हैं । इसलिए इनकी पढ़ाई पत्राचार द्वारा ही ज्यादा हुई है । इन लोगों को पढ़ाई और पालन पोषण की जिम्मेदारी इनके मां की ही जिम्मेदारी थी । ये बहुत सी हिट फिल्मों मे काम कर चुकी हैं ।
कैटरीना कैफ का जीवन परिचय ( biography of Katrina Kaif in hindi )
कैटरीना कैफ बॉलीवुड में एक बेहतरीन अदाकारी के लिए मशहूर हैं । ये कई भाषाओं में फिल्में कर चुकी हैं । जैसे हिंदी , तेलुगु , मलयालम और इंग्लिश आदि भाषाओं में अभिनय कर चुकी हैं ।
Katrina Kaif biography
1
पूरा नाम
कैटरीना कैफ
2
जन्म तिथि
16 /07/1983
3
हाईट
5 फिट 8 इंच
4
वजन
56 किलो ग्राम
5
जन्म स्थान
हांग कांग
6
राष्ट्रियता
ब्रिटिश
7
धर्म
इस्लाम
8
पहली फिल्म
बूम 2003
9
वैवाहिक स्थिति
विवाहित
10
पति का नाम
विक्की कौशल
11
पसंदीदा अभिनेता
ऋतिक रोशन , सलमान खान
12
पसंदीदा स्थान
लंदन ,स्पेन ,दुबई और इटली
कैटरीना कैफ
कैटरीना कैफ का फिल्मी सफर
कैटरीना कैफ ने अपने कैरियर की शुरुवात बचपन मे ही कर दी थी । अपनी पहली शुरुआत एक माडल के रूप में किया था । कैटरीना एक पेशेवर माडलिंग के रूप मे लंदन से ही शुरू किया । 2003 में अपनी पहली फिल्म बूम से की थी जिसमे बहुत ही दिग्गज एक्टर अमिताभ बच्चन , गुलशन ग्रोवर ,जैकी श्राफ , पद्म लक्ष्मी और मधु स्प्रे थे । इस फिल्म का खूब प्रचार किया गया । लेकिन सफल नहीं हुई । फिर 2004 में तेलुगू फिल्म मल्लीश्वरी में बतौर हीरोइन किरदार निभाया । जो बहुत सफल तो नहीं हुई लेकिन कमाई कर गई ।
कैटरीना कैफ की फिल्मों की लिस्ट
फिल्म
वर्ष
बूम
2003
मैने प्यार क्यों किया
2005
हमको दीवाना कर गए
2006
नमस्ते लंदन
2007
पार्टनर
2007
अपने
2007
वेलकम
2008
रेस
2008
सिंह इज किंग
2008
हेलो
2008
युवराज
2008
न्यूयार्क
2009
दे दना दन
2009
अजब प्रेम की गजब कहानी
2009
राजनीति
2010
तीस मार खां
2010
जिंदगी ना मिलेगी दोबारा
2011
बाडी गार्ड
2011
मेरे ब्रदर की दुल्हन
2011
अग्निपथ
2012
एक था टाइगर
2012
जब तक है जान
2012
मैं कृष्णा हूं
बॉम्बे टॉकीज
2013
धूम
2013
बैंग बैंग
2014
फैंटम
2015
बार बार देखो
2016
फितूर
2016
टाइगर जिंदा है
2017
जग्गा जासूस
2017
जीरो
2018
ठग्स ऑफ हिंदुस्तान
2018
ज्वेल ऑफ इंडिया
2019
भारत
2019
सूर्य बंशी
2021
मेरी क्रिसमस
2022
टाइगर 3
2022
जी ले जरा
2022
सत्ते पे सत्ता
2022
फोन भूत
2022
कैटरीना कैफ की शादी
इनकी शादी की चर्चा कई लोगों के साथ थी लेकिन किसी से नहीं किया । बाद में कैटरीना कैफ की शादी 9 दिसंबर 2021 को विक्की कौशल के साथ फोर्ट बरवाड़ा में हुई थी । शादी बहुत ही बेहतरीन तरीके से हुई थी ।
कैटरीन कैफ के पारिवार के सदस्य
कैटरीना कैफ के माता पिता के अलावा तीन बड़ी बहन स्टेफनी , क्रिस्टीन और नातासा तथा तीन छोटी बहनें मेलिसा , सोनिया , इसाबेल हैं । एक छोटा भाई माइकल कैफ भी है ।
Katrina Kaif biography | कैटरीना कैफ की जीवनी
Katrina Kaif biography | कैटरीना कैफ की जीवनी के बारे में बहुत सी जानकारियां हैं । अगर कुछ जानना चाहते हैं तो कमेंट करके पूछ सकते हैं । आप को यह लेख कैसा लगा कृपया कमेंट करके बताएं ।
Rashmika Mandanna . रश्मिका मंदाना एक बहुत ही मशहूर साउथ इंडियन एक्ट्रेस हैं । इनका जन्म कर्नाटक के बिराजपेट ,कोडागु में 5 अप्रैल 1996 में हुआ था । ये इस समय पूरे विश्व में अपनी एक्टिंग की वजह से मशहूर हो चुकी हैं । आज हम रश्मिका मंदाना के पूरे जीवन के बारे मे बताएँगे । की ये कौन हैं , कैसे मशहूर हुई , कहाँ तक शिक्षा ग्रहण की हैं , इनका अफेयर और इनके जीवन से जुड़े सभी तथ्यों के बारे में जानकारी ।
Rashmika Mandanna कौन हैं
रश्मिका का जन्म कर्नाटक एक मध्यम वर्ग के परिवार में पैदा हुई थी । इनके माता का नाम सुमन मंदाना तथा पिता का नाम मदन मंदाना है । रमन मंदाना कर्नाटक के सरकारी ऑफिस में कार्य करते थे । इन्होने अपनी प्राथमिक शिक्षा कूर्ग पब्लिक स्कूल में ग्रहण की थी । जो कि कर्नाटक मे ही स्थित है ।
रश्मिका ने उच्च शिक्षा एम एस रमाइया कालेज से मास्टर ऑफ साइक्लोजी से एम ए किया था । ये पढ़ाई के समय में ही मडलिंग करती थी क्यो कि इनको बचपन से ही माडलिंग और एक्टिंग का शौक था । पढ़ाई के समय में ही कई बिज्ञापनों मे कार्य कर चुकी थी ।
रश्मिका के जीवन से संबन्धित तथ्य
1
नाम
Rashmika Mandanna | रश्मिका मंदाना
2
पिता का नाम
मदन मंदाना
3
माता का नाम
सुमन मंदाना
4
जन्म तिथि
05/04/1996
5
जन्म स्थान
विराजपेट ,कोडागु , कर्नाटक
6
धर्म
हिन्दू
7
राष्ट्रियता
भारतीय
8
प्राथमिक स्कूल
कूर्ग पब्लिक स्कूल
9
उच्च शिक्षा
रमैया कालेज ऑफ आर्ट्स एण्ड साइंस
10
वैवाहिक स्थिति
अविवाहित
11
योग्यता
पत्रकारिता , अंग्रेजी और मनोबिज्ञान में स्नातक
12
कमाई
1 करोड़ पर फिल्म
13
पेशा
एक्टिंग , माडलिंग और बिज्ञापन
14
हाइट
5 फिट 3 इंच
15
वजन
54 किलो ग्राम
16
फिगर
33/25/34
Rashmika Mandanna | रश्मिका मंदाना
रश्मिका मंदाना का फिल्मी सफर
रश्मिका ने अपने कैरियर कि शुरुवात माडलिंग से 2012 में किया था । इन्होने 2012 में ही क्लीन एण्ड क्लियर का खिताब जीत लिया और इसी के चलते ब्रांड अम्बेसडर बना दिया गया था ।
2013 में रश्मिका को टॉप मॉडल हंट में टी वी सी का खिताब प्राप्त किया ।
2016 में किरिक पार्टी फिल्म से काफी मशहूर हो गयीं थी । जो उस साल कि सबसे सफल फिल्म थी जो 150 दिन तक सिनेमा घरों मे चली थी ।
2017 में अंजनी पुत्र औए चमक ये दो फिल्में की थी ।
2018 में चालो , गीता गोबिंदम , देवदास जैसी हिट फिल्में दी हैं ।
2019 में डियर कामरेड ,पोगरु ,भीष्म ,यजमान ,कार्थी फिल्मों को बतौर एक्ट्रेस एक महत्व पूर्ण भूमिका निभाई हैं ।
2020 सरिलरु निकेवरू किया गया है ।
2021 में सुल्तान , पुष्पा इनके द्वारा संचालित काफी हिट फिल्म रही हैं ।
इन्हे हिंदी नहीं आती है लेकिन पूरे विश्व में इनकी अदाकारी को पसंद करते हैं । इनके फालोवर भी बहुत ज्यादा हो गए हैं ।
Rashmika Mandanna father (रश्मिका मन्दाना के पिता का नाम
रश्मिका के पिता का नाम मदन मंदना है । जो एक सरकारी संस्थान में बाबू के पद पर कार्यरत थे । ये एक बहुत ही माध्यम वर्ग परिवार के थे ।
Rashmika Mandanna and Vijay Devarakonda
रश्मिका और विजय दोनो ने साथ साथ काम किया ।बहुत सी फिल्मों में काम भी किया लेकिन किसी भी तरह के रिश्ते से साफ साफ इंकार कर दिया । कितने बार मीडिया के सामने भी बोल चुके हैं । विजय देवरकोंडा और रश्मिका मंदना एक साथ काम किए हैं लेकिन उन्होंने ट्वीट करके भी बताया की ऐसा कोई चक्कर नहीं है ।
rashmika mandanna and vijay devarakonda
हालाकि कई बार सुनने में आया कि ये लोग आपस में शादी करने वाले हैं लेकिन अभी तक ऐसा कोई भी तथ्य सामने नहीं आया है ।
Rashmika Mandanna इस समय बहुत पापुलर हो गई है । बहुत से इनके फालोवर एक्टिंग पर फिदा हैं । पूरे फिल्म industries में बहुत सी मशहूर इंडियन एक्ट्रेस हैं ।